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जम्मू कश्मीर की सीएम महबूबा ने कहा कश्मीरी पंडितों की घाटी में सम्मानजनक वापसी होगी

जम्मू और कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को तुलामुला मंदिर का दौरा किया और खीर भवानी मेला में शिरकत कर रहे श्रद्धालुओं से बातचीत की। कश्मीरी पंडित श्रद्धालु जब तुलामुला मंदिर पहुंचे, तो वहां स्थानीय मुस्लिमों ने उनका दूध के साथ स्वागत किया। महबूबा ने सालाना उत्सव में श्रद्धालुओं के लिए किए गए इंतजाम का जायजा लिया। महबूबा ने एक वहां एक बार फिर कश्मीरी पंडितों की सम्मानजनक वापसी का संकल्प दोहराया। महबूबा ने कहा, 'वो दिन ज्यादा दूर नहीं जब कश्मीरी पंडित एक बार फिर पूरे सम्मान के साथ कश्मीर लौट आएंगे।' तुलामुला मंदिर हिंदू देवी माता रज्ञा को समर्पित है। कश्मीरी पंडितों का मानना है कि मंदिर में मौजूद कुंड के पानी का रंग कश्मीर के साल भर के भविष्य की भविष्यवाणी करता है। गांदरबल जिले से 29 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तुलामुला गांव में स्थानीय मुस्लिम उत्सव के दौरान अपने पंडित भाइयों का दूध के साथ पारंपरिक तौर पर स्वागत करते आ रहे हैं। इस साल श्रद्धालुओं की संख्या में रिकॉर्ड कमी के बावजूद स्थानीय मुस्लिमों ने पंडित भाइयों का दूध के साथ स्वागत किया, जो यह दर्शाता है कि राज्य में सुरक्षा और राजनीति की चाहे जो भी परिस्थितियां हों, हिंदुओं-मुसलमानों के बीच भाईचारा बरकरार है।

Updated on: 02 Jun 2017, 11:19 PM

नई दिल्ली:

जम्मू और कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को तुलामुला मंदिर का दौरा किया और खीर भवानी मेला में शिरकत कर रहे श्रद्धालुओं से बातचीत की। कश्मीरी पंडित श्रद्धालु जब तुलामुला मंदिर पहुंचे, तो वहां स्थानीय मुस्लिमों ने उनका दूध के साथ स्वागत किया।

महबूबा ने सालाना उत्सव में श्रद्धालुओं के लिए किए गए इंतजाम का जायजा लिया। महबूबा ने एक वहां एक बार फिर कश्मीरी पंडितों की सम्मानजनक वापसी का संकल्प दोहराया। महबूबा ने कहा, 'वो दिन ज्यादा दूर नहीं जब कश्मीरी पंडित एक बार फिर पूरे सम्मान के साथ कश्मीर लौट आएंगे।'

तुलामुला मंदिर हिंदू देवी माता रज्ञा को समर्पित है। कश्मीरी पंडितों का मानना है कि मंदिर में मौजूद कुंड के पानी का रंग कश्मीर के साल भर के भविष्य की भविष्यवाणी करता है। गांदरबल जिले से 29 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तुलामुला गांव में स्थानीय मुस्लिम उत्सव के दौरान अपने पंडित भाइयों का दूध के साथ पारंपरिक तौर पर स्वागत करते आ रहे हैं।

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इस साल श्रद्धालुओं की संख्या में रिकॉर्ड कमी के बावजूद स्थानीय मुस्लिमों ने पंडित भाइयों का दूध के साथ स्वागत किया, जो यह दर्शाता है कि राज्य में सुरक्षा और राजनीति की चाहे जो भी परिस्थितियां हों, हिंदुओं-मुसलमानों के बीच भाईचारा बरकरार है।

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