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दिल्ली HC का केजरीवाल सरकार से सवाल, 'ग्रीन सेस फंड से क्यों खरीदी जाये इलेक्ट्रिक बसें'

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के चलते सरकार ने राजधानी में 500 नई इलेक्ट्रॉनिक बसे लाने का फैसला लिया था।

Updated on: 30 Nov 2017, 12:12 AM

नई दिल्ली:

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के चलते सरकार ने राजधानी में 500 नई इलेक्ट्रिक बसों को लाने का फैसला लिया था। 

इस मामले पर दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि 500 ​​इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने के लिए 700 करोड़ के ग्रीन सेस फंड में 400 करोड़ का इस्तेमाल करने की योजना प्रस्तावित की गई है।

हालांकि, पहले दिल्ली सरकार की तरफ से अभी ये साफ नहीं किया था कि अभी कितनी इलेक्ट्रिक बसें खरीदी जाएंगी और इसके लिए कितने पैसे की जरूरत होगी। 

सरकार के इस फैसले पर हाई कोर्ट ने सवाल किया कि आप बसों के लिए ग्रीन सेस फंड का इस्तेमाल क्यों करना चाहते हैं? बसें सरकार के 'जरूरी काम' का एक हिस्सा हैं। बस खरीदने की योजना लंबे समय तक लंबित है। पर्यावरण फंड से बसों को क्यों खरीदा जा रहा है?'

दिल्ली सरकार ने 500 नई इलेक्ट्रिक बसें खरीदने की घोषणा की थी। सरकार ने कहा कि वह ग्रीन टैक्स से नहीं, अलग से बजट देकर बसों को खरीदेगी।

प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर सरकारी एजेंसिया दिल्ली में ट्रकों और कारों से 1500 करोड़ रुपये वसूल चुकी है लेकिन उसका एक भी पैसा प्रदूषण को कम करने में खर्च नहीं किया गया है।

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10 नवंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक करीब 1003 करोड़ पर्यावरण सेस (ECC) की वसूली की गई है। साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सीमा में प्रवेश करने वाले ट्रकों पर पर्यावरण सेस लगाने का फैसला सुनाया था।

बता दें, दक्षिण दिल्ली नगर निगम इस पर्यावरण सेस को वसूलती है और हर हफ्ते इसे परिवहन विभाग में जमा कराया जाता है। दिलचस्प ये है कि साल 2007 में ही दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने के मकसद से शीला दीक्षित सरकार ने डीजल पर सेस लगाने का फैसला किया था।

इस मामले को लेकर दिल्ली परिवहन विभाग के अधिकारी ने कहा एक दिन पहले ही इस फंड का नए इलेक्ट्रिक बस खरीदने के लिए इस्तेमाल करने का फैसला लिया गया है। इलेक्ट्रिक बसों की खरीद पूरी तरह से एनवायरनमेंटल सेस और एनवायरनमेंटल एंबियंट एयर फंड के जरिए जमा हुई रकम से ही की जाएगी।

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