Hamari Sansad Sammelan: क्या हिंदू होने के नाते रामपुर से मिली हार! जानना चाहती हैं जयाप्रदा
जयाप्रदा ने यह बयान देकर सनसनी मचा दी है कि क्या उन्हें सिर्फ मुसलमानों ने इसलिए वोट नहीं दिया कि वह एक हिंदू हैं.
highlights
- मुलायम सिंह यादव समेत रामगोपाल और अखिलेश यादव तक ने नहीं सुनी गुहार.
- अमर सिंह को भी खाली इसीलिए सपा से निकाला गया कि उन्होंने जयाप्रदा का पक्ष लिया.
- जयाप्रदा जानना चाहती हैं कि सिर्फ हिंदू होने की वजह से उन्हें हार तो नहीं मिली.
नई दिल्ली.:
फिल्मी दुनिया से राजनीति में आईं जयाप्रदा पर इस लोकसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी नेता आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला खान की ओर से कई निजी हमले किए गए. उनकी मॉर्फ्ड फोटो तक वायरल की गई. हालांकि उन्होंने इस दुष्प्रचार पर हार नहीं मानी और महिला अस्मिता और सम्मान के लिए लड़ाई जारी रखी. अब चुनाव के बाद पहली बार न्यूज नेशन के जरिए सार्वजनिक मंच पर आईं जयाप्रदा ने यह बयान देकर सनसनी मचा दी है कि क्या उन्हें सिर्फ मुसलमानों ने इसलिए वोट नहीं दिया कि वह एक हिंदू हैं.
सपा-बीजेपी में अंतर
'हमारी संसद सम्मेलन' में 'हार के आगे जीत है' सत्र में जयाप्रदा ने सपा और बीजेपी पार्टी के अंतर को स्पष्ट करते हुए एक बड़ा खुलासा किया. उन्होंने बताया कि वह सपा में रहते हुए भी पराई थीं. उनके बारे में गलत-सलत फोटो फैलाई गईं. इसको लेकर रात को 3 बजे उन्होंने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से लेकर रामगोपाल वर्मा, अखिलेश यादव तक को फोन किया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली. स्थिति यह थी कि सपा में सभी लोग आजम खान की तरफ हो गए थे. उनका कहना था कि समझ नहीं आ रहा था कि एक पार्टी में महिला के लिए क्या कोई संवेदनाएं बाकी नहीं बची हैं.
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जान तक देने का ख्याल आया
ऐसे में शर्मिदंगी और लाचारगी वश जयाप्रदा के मन में जान तक देने का ख्याल आया था. ऐसे में अमर सिंह ही आगे आए और उन्होंने जयाप्रदा को न सिर्फ संबल प्रदान किया, बल्कि सपा के अंदर भी इस मसले को उठाया. हालांकि इसका नतीजा यह रहा है कि अमर सिंह को ही सपा से निकाला दे दिया गया. फिर जब रामपुर से इस बार जयाप्रदा बीजेपी के टिकट पर सपा नेता आजम खान के सामने थीं. इस बार भी 'अनारकली' सरीखे भद्दे कमेंट आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला खान की तरफ से आए. महिला सम्मान और अस्मिता के लिए लड़ रही जयाप्रदा रामपुर चुनाव हार गईं.
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उठाया हिंदू-मुसलमान मुद्दा
हालांकि जयाप्रदा मानती हैं कि रामपुर की जनता महान है. अगर वह नहीं होती तो वह रामपुर से दो बार नहीं जीततीं. इससे जुड़े प्रश्न पर जयाप्रदा ने कहा कि कल मैं जीती थीं, तो आज में हारी हूं. उन्होंने कहा कि वह इस हार से कतई निराश या हताश नहीं हैं. हां, थोड़ी अचंभित जरूर हैं. उनका कहना था कि आजम खान के एक महिला पर किए गए हमले सभ्य समाज का हिस्सा नहीं हो सकते. इसके बावजूद रामपुर की जनता ने आजम खान को जिताया है. ऐसे में मुझे तो अब इस जवाब की खोज है कि क्या जयाप्रदा सिर्फ इसलिए रामपुर से हार गई, क्योंकि वह हिंदू है? क्या आजम खान को मुसलमान होने की वजह से ही रामपुर का समर्थन मिला?
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