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गुजरात चुनाव के ऐलान से पहले कांग्रेस की रणनीतिक बढ़त, पटेल का सपोर्ट- पाले में OBC नेता अल्पेश

गुजरात विधानसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बड़ा झटका दिया है।

Updated on: 21 Oct 2017, 11:50 PM

highlights

  • गुजरात विधानसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बड़ा झटका दिया है
  • आरक्षण की मांग को लेकर पाटीदार आंदोलन की अगुवाई करने वाले हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को सममरथ्न दिए दिए जाने का ऐलान कर दिया है
  • वहीं राज्य में ओबीसी एकता मंच के नेता अल्पेश ठाकोर ने दिल्ली में राहुल गांधी के साथ हुई अहम मुलाकात के बाद कांग्रेस का हाथ थामने का ऐलान कर दिया है

नई दिल्ली:

गुजरात विधानसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बड़ा झटका दिया है।

राज्य में बीजेपी से नाराज चल रहे पटेलों और ओबीसी (अन्य पिछड़ी जातियां) के युवा नेताओं को कांग्रेस अपने पक्ष में करने में सफल रही है, जो बीजेपी के लिए चुनौती बने हुए हैं।

आरक्षण की मांग को लेकर पाटीदार आंदोलन की अगुवाई करने वाले हार्दिक पटेल ने जहां बीजेपी को झटका देते हुए कांग्रेस को समर्थन दिए जाने का ऐलान कर दिया है, वहीं राज्य में ओबीसी एकता मंच के नेता अल्पेश ठाकोर ने दिल्ली में राहुल गांधी के साथ हुई अहम मुलाकात के बाद कांग्रेस का हाथ थामने का ऐलान कर दिया है।

राहुल गांधी के साथ हुई अल्पेश की बैठक में सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल, गुजरात कांग्रेस के प्रभारी और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष भारत सिंह सोलंकी मौजूद थे।

ठाकोर ने कहा, 'राहुल गांधी 23 अक्टूबर को हमारी रैली में शामिल होने के लिए आ रहे हैं और मैं कांग्रेस पार्टी का हाथ थामूंगा।'

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वहीं उना में दलितों पर हुए अत्याचार के बाद दलित आंदोलन की अगुवाई कर चुके जिग्नेश मेवाणी ने भी बीजेपी पर 'संविधान विरोधी' होने का आरोप लगाते हुए उसे हराने की अपील की है।

क्या कहते हैं समीकरण?

कांग्रेस के लिए पटेल, ओबीसी और दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले इन तीनों युवा नेताओं के साथ आने की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि तीनों पिछले कुछ सालों से बीजेपी के लिए चुनौती बने हुए हैं।

पटेल पारंपरिक रूप से बीजेपी के समर्थक रहे हैं लेकिन पाटीदार आंदोलन के बाद उनकी नाराजगी किसी से छिपी नहीं है। वहीं ऊना कांड के बाद हुए दलित आंदोलन से उपजे आक्रोश को थामने के लिए पार्टी को आनंदीबेन पटेल तक को मुख्यमंत्री पद से हटाना पड़ा था।

गुजरात में पटेलों का मत प्रतिशत महज 12 फीसदी है लेकिन सामाजिक और राजनैतिक हैसियत में इस समुदाय की भूमिका प्रभावित करने वाले वर्ग के तौर पर पर रही है।

वोट बैंक के लिहाज से गुजरात में सबसे बड़ी आबादी ओबीसी समुदाय की रही है, जिनकी मत हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी है और अल्पेश ठाकुर इसी समुदाय के युवा चेहरे के तौर पर उभरे हैं।

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अल्पेश पटेलों के आरक्षण की खिलाफत करते रहे हैं। साथ ही वह ओबीसी-एससी-एसटी के एकता की भी कोशिश करते रहे हैं।

वहीं दूसरी तरफ राज्य में दलितों का मत प्रतिशत करीब 7 फीसदी के आस-पास है। दलित राज्य में प्रभावशाली वोट बैंक तो नहीं है लेकिन पटेल-ओबीसी की गोलबंदी की स्थिति में यह वोट बैंक बेहद अहम साबित हो सकता है।

अभी तक माना जा रहा था कि आरक्षण के मसले पर अल्पेश की राय बीजेपी के करीब जाती है, लेकिन उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने का ऐलान कर बीजेपी की मुश्किलों को बढ़ा दिया है।

दलित वोट बैंक का असर?

ऊना में कथित गोरक्षा के नाम पर दलितों की बर्बरतापूर्वक पिटाई का वीडियो सामने आने के बाद जिग्नेश ने आंदोलन का नेतृत्व किया था। 

राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के संयोजक जिग्नेश गुजरात में दलितों पर होने वाले अत्याचार के लिए बीजेपी को जिम्मेदार बताते रहे हैं।

जिग्नेश ने हालांकि अभी तक किसी भी पार्टी के समर्थन या सीधे चुनाव में उतरने को लेकर कुछ नहीं कहा है लेकिन उन्होंने बीजेपी को 'संविधान विरोधी' बताते हुए उसे हराने की अपील जरूर की है।

वोट बैंक के लिहाज से गुजरात में दलितों की भूमिका को प्रभावशाली तो नहीं कहा जा सकता है लेकिन ओबीसी और पटेल के युवा नेतृत्व के एक मंच पर साथ आने के बाद दलितों की वोटिंग बेहद अहम हो जाएगी।

गुजरात में वोट बैंक के लिहाज से दलितों की हिस्सेदारी करीब 7 फीसदी है।

कांग्रेस को हार्दिक का समर्थन और अल्पेश ठाकोर के कांग्रेस में शामिल होने का ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात दौरे से ठीक पहले हुआ है। 

हालांकि चुनाव आयोग ने अभी तक गुजरात के विधानसभा चुनाव का ऐलान नहीं किया है, लेकिन बीजेपी विरोधी ताकतों को एकजुट करने में कांग्रेस ने शुरुआती बढ़त जरूर बना ली है।

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