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कश्मीरी अलगाववादियों पर कसेगा शिकंजा, संयुक्त कार्रवाई की तैयारी में NIA और ED

जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होने के बाद केंद्र अलगाववादी कश्मीरी नेताओं के साथ सख्ती से निपटने के मूड में नजर आ रही है।

Updated on: 26 Jun 2018, 12:13 AM

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होने के बाद केंद्र अलगाववादी कश्मीरी नेताओं के साथ सख्ती से निपटने के मूड में नजर आ रही है, जो कथित रूप से मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिग में शामिल है।

अधिकारियों का कहना है कि यह एनआईए और ईडी की संयुक्त कार्रवाई के तहत होगा।

इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में हुई उच्च-स्तरीय बैठक में चर्चा हुई, जिसमें राष्ट्रीय जांच आयोग के महानिदेशक योगेश चंदर मोदी और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशक करनाल सिंह भी शामिल थे।

बैठक में शामिल एक अधिकारी के मुताबिक, मनी लॉन्ड्रिग और कश्मीरी अलवादियों के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई की जा सकती है।

यह बैठक इसलिए भी अहम है क्योंकि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू कर दिया है। इसके बाद से राज्य में सक्रिय आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई भी काफी तेज हो गई है।

एनआईए पहले ही घाटी में कथित रूप से टेरर फंडिग में लिप्त आतंकी मास्टरमांइड हाफिज सईद और सैयद सलाहुद्दीन समेत 10 कश्मीरी अलगाववादियों के खिलाफ दिल्ली कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।

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लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख सईद और हिज्बुल मुजाहिदीन के चीफ सलाहुद्दीन समेत फाइनल रिपोर्ट में हुर्रियत लीडर सैयद शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह, गिलानी के निजी सहायक बशीर अहमद, आफताब अहमद शाह, नईम अहमद खान और फारूक अहमद डार आदि के नाम शामिल हैं।

रिपोर्ट में मोहम्मद अकबर खंडे, अखिल दलों हुर्रियत सम्मेलन (जिलानी गुट) के मीडिया सलाहकार, राजा मेहरराजुद्दीन कलवाल, तहरीक-ए-हुर्रियत के पदाधिकारी, जौहर अहमद शाह वाताल, एक हवाला कंड्यूट और दो पत्थरबाज - कामरान यूसुफ और जावेद अहमद भाट का नाम भी शामिल है।

गौरतलब है कि ईडी राज्य में फेमा और पीएमएलए के तहत टेरर फंडिग से जुड़े कम से कम एक दर्जन मामलों की जांच कर रही है।

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