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गूगल ने बांग्ला लेखिका Mahasweta Devi’s 92nd Birthday शीर्षक से बनाया डूडल, उपन्यास पर बनी थी चर्चित फिल्में

मशहूर उपन्यास 'हज़ार चौरासी की मां' की लेखिका महाश्वेता देवी का जन्म 14 जनवरी 1926 को अविभाजित बंगाल के ढाका शहर में हुआ था।

Updated on: 14 Jan 2018, 07:09 AM

नई दिल्ली:

गूगल ने बांग्ला लेखिका महाश्वेता देवी को समर्पित करते हुए Mahasweta Devi’s 92nd Birthday शीर्षक से डूडल बनाया है। मशहूर उपन्यास 'हज़ार चौरासी की मां' की लेखिका महाश्वेता देवी का जन्म 14 जनवरी 1926 को अविभाजित बंगाल के ढाका शहर में हुआ था। 

आगे चलकर फिल्म डायरोक्टर गोविन्द निहलानी ने इस उपन्यास पर इसी नाम से एक फिल्म भी बनाई थी। फिल्म की कहानी 1970 के नक्सली आंदोलन पर आधारित है और इसमें जया बच्चन लीड रोल में थी।

बांग्ला भाषी समाज में काफी नाम कमाने के बाद भी 1980 तक हिंदी भाषी दुनिया के गिने-चुने लोग ही बांग्ला की सुप्रसिद्ध साहित्यकार महाश्वेता देवी को जानते थे।

महाश्वेता देवी के पिता मनीष घटक ख़ुद एक मशहूर उपन्यासकार थे और चाचा ऋतिक घटक एक फिल्मकार के रूप में विख्यात हुए।

1940 के दशक में महाश्वेता देवी बंगाल के कम्युनिस्ट आंदोलन से काफी प्रभावित हुईं। वो हमेशा दबे-कुचले और शोषित समाज की बात करती थी और उनके लिए हमेशा न्याय की लड़ाई में शामिल रहीं।

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उनकी कुछ महत्वपूर्ण कृतियों में 'नटी', 'मातृछवि', 'अग्निगर्भ' 'जंगल के दावेदार' और '1084 की मां', माहेश्वर, ग्राम बांग्ला हैं। पिछले चालीस वर्षों में,उनकी छोटी-छोटी कहानियों के बीस संग्रह प्रकाशित किये जा चुके हैं और बांग्ला भाषा में सौ उपन्यासों के करीब प्रकाशित हो चुकी है।

आगे चलकर भारत सरकार की तरफ से उन्हें 1986 में पदम श्री, 1996 में ज्ञानपीठ और 2006 में पदम विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ज्ञानपीठ पुरस्कार इन्हें नेल्सन मंडेला के हाथों प्रदान किया गया था।

उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और एशिया का नोबेल पुरस्कार कहे जाने वाले रमन मैगसेसे पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।

जानकार बताते हैं कि विदेशों में महाश्वेता देवी की रचनाओं की वजह से भारतीय साहित्य को विशेष पहचान मिली।

महाश्वेता देवी ने फिल्मी दुनिया में भी काफी नाम कमाया है। 'संघर्ष', 'रूदाली' और 'हज़ार चौरासी की मां' उनकी उपन्यास पर आधारित फिल्में थी।

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दिलीप कुमार और वैजयंती माला अभिनीत फिल्म 'संघर्ष' 1968 में आयी थी। ये फिल्म महाश्वेता देवी की कहानी 'लायली असमानेर आयना' पर आधारित है। इस फिल्म का डायरेक्शन हरनाम सिंह रवेल ने किया और फिल्म भी काफी लोकप्रिय रही थी।

आगे चलकर 1993 में फिल्म 'रूदाली' बनी जिसमें डिंपल कपाड़िया ने मुख्य भुमिका निभायी थी। इस फिल्म का निर्देशन कल्पना लाजिमी ने किया था।

डिंपल कपाड़िया को इस फिल्म में निभाए अपने रोल के लिए नेशनल फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया था। ये कहानी राजस्थान की रोने वाली महिलाओं की जिंदगी पर आधारित थी।

जिसके बाद 1998 में उनकी चर्चित उपन्यास 'हज़ार चौरासी की मां' पर इसी नाम सि फिल्म आई। जिसे आगे चलकर राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।

28 जुलाई 2016 को प्रख्यात साहित्यकार महाश्वेता देवी का कोलकाता में निधन हो गया।

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