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Ganesh Chaturthi 2018: प्लास्टिक बैन के बाद मुंबई के गणपति बनें इको फ्रेंडली

हर साल गणपति त्यौहार के दौरान शहर में प्रदूषण से पर्यावरण को काफी नुकसान होता है। यही कारण है कि लोग और कारीगर इस बार गणपति के आयोजन को इको फ्रेंडली बनाने पर जोर दे रहे हैं।

Updated on: 04 Aug 2018, 12:50 PM

नई दिल्ली:

मुबंई के कारीगर इस बार गणेश चतुर्थी को ज्यादा से ज्यादा इको फ्रेंडली बनाने की कोशिशें कर रहे हैं। कारीगर गणेश चतुर्थी में इस बार इको फ्रेंडली गणपति बप्पा बना रहे हैं।

हर साल गणपति त्यौहार के दौरान शहर में प्रदूषण से पर्यावरण को काफी नुकसान होता है। यही कारण है कि लोग और कारीगर इस बार गणपति के आयोजन को इको फ्रेंडली बनाने पर जोर दे रहे हैं।

गणेश चतुर्थी हिन्दु कैलेंडर के अनुसार सितंबर के दूसरे और तीसरे हफ्ते में मनाया जाता है। दस दिनों तक चलने वाला यह त्यौहार मुंबई में काफी धूम-धाम से मनाया जाता है।

इस त्यौहार की तैयारियां कुछ महीनों पहले ही शुरू हो जाती है। दत्ताद्री कोठुर नाम के एक कारीगर ने गणेश भगवान की ऐसी मूर्तियां बनाई हैं जो इको फ्रेंडली चिकनी मिट्टी से बने हैं। इन मूर्तियों की खास बात यह है कि इनमें पेड़ के बीज हैं। त्यौहार के खत्म होने पर इन मूर्तियों पर पानी डाले जाने पर ये मिट्टी में मिल जाएंगे और यह पौधों के रूप में बड़े हो जाएंगे।

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कोठुर ने बताया कि, 'विसर्जन के दिन लोग भगवान की इन मूर्तियों को अपनी बालकनी, छत या बगीचे में ले जा कर ऐसी जगह रखें जहां वह पेड़ लगाना चाहते हैं। इसके बाद इन मूर्तियों पर लगभग सात से दस दिन तक पानी डालने पर यह मिट्टी में मिल जाएंगे और पेड़ के रूप में बड़े हो जाएंगे।'

ऐसे ही एक और कलाकार हैं रोहित वस्ते जो गणेश भगवान की पेपर से बनीं मूर्तियां बना रहे हैं। जिन्हें आसानी से रीसाइकिल किया जा सकता है।

आज के समय में पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए पंडाल को सजाने की सामग्री भी इको फ्रेंडली सामान से बनाई जा रही है।

वहीं इस साल 23 जून से महाराष्ट्र में हुए प्लास्टिक बैन के बाद इस बार गणेश चतुर्थी में कम प्रदूषण होने की उम्मीद जताई जा रही है। प्लास्टिक बैन के बाद त्यौहार के दौरान इस्तेमाल होने वाली कोई भी सामग्री प्लास्टिक या थर्मोकोल से नहीं बनेगी।

यहीं वजह है कि इस बार गणेश चतुर्थी में चीजों के दाम बढ़ सकते हैं, क्योंकि कारीगरों को प्लास्टिक और थर्मोकोल के विकल्प ढूंढने पढ़ रहे हैं। कहा जा रहा है कि भगवान की मूर्तियों से लेकर सजाने के सामान तक के दामों में 10 से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है।

मूर्तियों के दाम बढ़ने पर मुंबई के परेल में मूर्ति बनाने वाले क्रुनल पाटिल ने बताया कि, 'मूर्तियों की कीमतें इस बार जरूर बढ़ेंगी क्योंकि प्लास्टिक और थर्मोकोल के लिए हमने विकल्प ढूंढे हैं जो थोड़े महंगे हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि मूर्तियों के दाम थोड़े बढ़ने के बावजूद इनकी मांग पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है। इसकी वजह है लोगों की आस्था और विश्वास जो कीमते बढ़ने के बावजूद मूर्तियां उतने ही उत्साह से खरीद रहे हैं।'

वहीं गणेश मंडल समिति के चेयरमैन नरेश दहिबावकर ने इस बारे में बताते हुए कहा कि 'हमें डर है कि इस बार के गणपति मंहगे हो सकते हैं। पर हम हर साल की तरह ही इस बार भी गणेश उत्सव मनाएंगे क्योंकि यह केवल हमारी आस्था का ही विषय नहीं है बल्कि मुंबई के गणपति वर्ल्ड फेमस हैं। हम बीएमसी और अन्य अधिकारियों से बात कर रहे हैं कि क्या हमें गणेश उत्सव मनाने के लिए प्लास्टिक बैन से थोड़ी बहुत छूट मिल सकती है या नहीं।'

बीएमसी लगातार प्लास्टिक बैन को सुनिश्चित करने के लिए जगह-जगह छापे मार रही है। प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हुए पकड़े जा रहे लोगों से फाइन लिया जा रहा है। वहीं फाइन देने से मना करने वाले लोगों पर केस दर्ज कर कार्रवाई भी की जा रही है।

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इस गणेश चतुर्थी में भगवान की मूर्तियों और सजावट के सामान के दाम थोड़े बढ़ते भी हैं तो यह पर्यावरण और लोगों के लिए ही अच्छा है। शायद यहीं कारण है कि लोग इस बार इको फ्रेंडली गणेश चतुर्थी मनाने के लिए उत्साहित हैं और बढ़-चढ़कर इसमें अपना योगदान दे रहे हैं।