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SP में फूट, शिवपाल यादव ने बनाई अलग पार्टी, अखिलेश ने कहा- BJP की साजिश

शिवपाल ने कहा कि वह नेताजी को सम्मान न दिए जाने से आहत हैं और सेक्युलर मोर्चे के सहारे छोटे दलों को जोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि वह समाजवादी पार्टी से उपेक्षित लोगों को इस मोर्चे से जोड़ने का काम करेंगे।

Updated on: 29 Aug 2018, 01:42 PM

नई दिल्ली:

उत्तर-प्रदेश की समाजवादी पार्टी में फूट पड़ गई है जिसके बाद लंबे समय से अनदेखी झेल रहे पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने एक अलग पार्टी का निर्माण किया है। शिवपाल ने इस पार्टी का नाम समाजवादी सेक्युलर मोर्चा रखा है। शिवपाल सिंह ने नई पार्टी के गठन की घोषणा करते हुए दावा किया है कि वो अपनी नव निर्मित पार्टी से समाजवादी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को भी जोड़ेंगे।

शिवपाल ने कहा कि वह नेताजी को सम्मान न दिए जाने से आहत हैं और सेक्युलर मोर्चे के सहारे छोटे दलों को जोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि वह समाजवादी पार्टी से उपेक्षित लोगों को इस मोर्चे से जोड़ने का काम करेंगे।

वहीं शिवपाल की ओर से नई पार्टी के निर्माण पर पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साधा है। अखिलेश ने दावा किया कि चाचा शिवपाल यादव के इस कदम के पीछे बीजेपी की साजिश है।

उन्होंने कहा कि पिछले 2-3 दिन से जिस तरह की गतिविधियां हो रही है उससे यह बात साफ हो गई है कि इनके पीछे बीजेपी का हाथ है।

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बता दें कि हाल ही में रक्षाबंधन पर बहन से राखी बंधवाने के बाद शिवपाल ने कहा था,'इंतजार करते डेढ़ साल हो चुके हैं, आखिर कितनी उपेक्षा बर्दाश्त की जाए। सहने की कोई सीमा होती है।'

इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सहयोगी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने मंगलवार को शिवपाल सिंह से मुलाकात की थी। जिसके बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि राजभर भी इस मोर्चे में शामिल हो सकते हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक नई पार्टी बनाने के बाद शिवपाल यादव मुलायम सिंह यादव से मिलने उनके आवास पर जा सकते हैं।

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गौरतलब है कि शिवपाल यादव को उनके बड़े भाई मुलायम सिंह यादव ने पिछले साल ही भरोसा दिलाया था कि एसपी में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी। पिछले साल जब एसपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई तो भी यह तय माना जा रहा था कि उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया जाएगा।

हालांकि, उनके दूसरे बड़े भाई प्रफेसर रामगोपाल यादव को प्रधान महासचिव तो बना दिया गया, पर उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई।