नागपुर: RSS मुख्यालय जाएंगे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, 800 कार्यकर्ताओं को करेंगे संबोधित
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक राकेश सिन्हा ने नागपुर में होने वाले कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के शामिल होने की पुष्टि की है।
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) के विचारक राकेश सिन्हा ने नागपुर में होने वाले कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के शामिल होने की पुष्टि की है। संघ विचारक ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ने नागपुर में होने वाले सम्मेलन में शामिल होने के उनके न्यौते को स्वीकार कर लिया है।
उन्होंने कहा,' नागपुर में होने वाले संघ के कार्यक्रम में उनकी स्वीकार्यता से यह साफ हो जाता है कि मुद्दों को लेकर विरोध या बातचीत होनी चाहिए न कि दुश्मनी। आरएसएस और हिंदुत्व पर सवाल उठाने वाले लोगों को पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण स्वीकार कर लेना बड़ा जवाब है।'
गौरतलब है कि आरएसएस ने 7 जून को अंतिम वर्ष के स्वयंसेवकों के विदाई संबोधन के लिए पूर्व राष्ट्रपति को आमंत्रित किया था।
और पढ़ें: उत्तर प्रदेश: नेता विपक्ष रामगोविंद ने अमित शाह को बताया रावण, कहा- अहंकार के आगे कोई नहीं बचा
इस दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों से 45 साल से कम उम्र के करीब 800 कार्यकर्ता आरएसएस हेडक्वॉर्टर कैंप में शामिल होंगे।
आपको बता दें कि अपने पूरे राजनीतिक जीवन में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी कांग्रेस से जुड़े रहे हैं और कांग्रेस की सरकारों के दौरान वित्त, रक्षा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार भी संभाला हैं, जबकि आरएसएस को भारतीय जनता पार्टी के मातृ संगठन के रूप में में जाना जाता है।
ऐसे में यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि जीवन भर कांग्रेस विचारधारा के समर्थक रहे प्रणब मुखर्जी ने आखिरकार आरएसएस की विचारधारा को स्वीकार कर लिया है।
और पढ़ें: पीएम की रैली से पहले धरने पर बैठे गन्ना किसान ने तोड़ा दम
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Principles Of Hinduism : क्या हैं हिंदू धर्म के सिद्धांत, 99% हिंदू हैं इससे अनजान
-
Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया के दिन शुभ मुहूर्त में खरीदें सोना-चांदी, भग्योदय होने में नहीं लगेगा समय
-
Hinduism Future: पूरी दुनिया पर लहरायगा हिंदू धर्म का पताका, क्या है सनातन धर्म की भविष्यवाणी
-
Sanatan Dharma: सनातन धर्म की बड़ी भविष्यवाणी- 100 साल बाद यह होगा हिंदू धर्म का भविष्य