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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्‍टिस चेलमेश्‍वर ने कही बड़ी बात, बोले-राम मंदिर को लेकर कानून बनाना संभव

केंद्र सरकार पर चौतरफा दबाव के बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्‍यायाधीश जस्‍टिस जस्‍ती चेलमेश्‍वर ने बड़ी बात कही है. उन्‍होंने कहा है कि राम मंदिर का मामला भले ही सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन इस पर कानून बनाया जा सकता है.

Updated on: 03 Nov 2018, 11:28 AM

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार पर चौतरफा दबाव के बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्‍यायाधीश जस्‍टिस जस्‍ती चेलमेश्‍वर ने बड़ी बात कही है. उन्‍होंने कहा है कि राम मंदिर का मामला भले ही सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन इस पर कानून बनाया जा सकता है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई टाले जाने के बाद सरकार पर राम मंदिर बनाने को लेकर अध्‍यादेश लाने या कानून बनाने का भारी दबाव है. आरएसएस (राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ) और विहिप (विश्‍व हिन्‍दू परिषद) के अलावा अन्‍य हिन्‍दू संगठन आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं. वह कांग्रेस पार्टी से जुड़े संस्थान ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस की एक परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे.

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उन्‍होंने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित होने के बावजूद सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बना सकती है.’ उन्होंने कहा, ‘विधायी प्रक्रिया द्वारा अदालती फैसलों में अवरोध पैदा करने के उदाहरण पहले भी रहे हैं.’ उनकी यह टिप्‍पणी ऐसे समय आई है, जब अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए कानून बनाने की मांग परवान चढ़ती नजर आ रही है.

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जस्टिस चेलमेश्वर सुप्रीम कोर्ट के उन चार वरिष्ठ जजों में शामिल थे, जिन्होंने इस साल के आरंभ में प्रेस कांफ्रेंस कर तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के कामकाज के तौर-तरीके पर सवाल उठाए थे. राम मंदिर के बारे में उन्होंने कहा, मुझे कुछ ऐसे मामलों की जानकारी है, जो पहले भी हो चुके हैं, जिनमें विधायी प्रक्रिया ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों में बाधा डाली थी.’ चेलमेश्वर ने कावेरी जल विवाद पर उच्चतम न्यायालय का आदेश पलटने के लिए कर्नाटक विधानसभा द्वारा एक कानून पारित करने का भी उदाहरण दिया. उन्होंने राजस्थान, पंजाब एवं हरियाणा के बीच अंतर-राज्यीय जल विवाद से जुड़ी ऐसी ही एक घटना का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘देश को इन चीजों को लेकर बहुत पहले ही खुला रुख अपनाना चाहिए था। यह (राम मंदिर पर कानून) संभव है, क्योंकि हमने इसे उस वक्त नहीं रोका.’