ईवीएम विवाद: दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव उमेश सहगल बोले- EVM को सुरक्षित बताने वाले कथित दावों में झोल
उन्होंने कहा कि कुछ प्रतिष्ठित लोगों की उपस्थिति में मॉक चुनाव आयोजित किया गया था, जहां यह पुष्टि हुई थी की ईवीएम में एक प्री-प्रोग्राम्ड कोड नंबर डालने के बाद पहले 10 वोट के बाद हर पांचवां वोट किसी खास उम्मीदवार को ही जा रहा था।
highlights
- ईवीएम में 'एक प्री-प्रोग्राम्ड कोड नंबर डालकर चुनावी परिणामों को बदला जा सकता है: उमेश सहगल
- ईवीएम निर्माताओं का दावा: एक बार प्रोग्राम कोड लिखने के बाद उसे बदला नहीं जा सकता है
नई दिल्ली:
दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव उमेश सहगल ने अपनी किताब में खुलासा किया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से छेड़छाड़ संभव है।
सहगल का कहना है कि उन्होंने उस समय के मुख्य निर्वाचन आयुक्त नवीन चावला से भी इस बात का जिक्र किया था कि ईवीएम में 'एक प्री-प्रोग्राम्ड कोड नंबर डालकर चुनावी परिणामों बदला जा सकता है।
उन्होंने कहा कि कुछ प्रतिष्ठित लोगों की उपस्थिति में मॉक चुनाव आयोजित किया गया था, जहां यह पुष्टि हुई थी की ईवीएम में एक प्री-प्रोग्राम्ड कोड नंबर डालने के बाद पहले 10 वोट के बाद हर पांचवां वोट किसी खास उम्मीदवार को ही जा रहा था।
उन्होंने अपनी किताब 'आईएएस-टेल टोल्ड बाई एन आईएएस (हर आनंद पब्लिकेशन)' में लिखा है, 'इस कोड को किसी भी वक्त डाला जा सकता है, यहां तक कि मतदान शुरू होने के बाद भी।'
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सहगल ने कहा कि उन्हें साल 2009 में हुए आम चुनाव में ईवीएम की निष्पक्षता पर शक है, जिसमें अप्रत्याशित परिणाम में कांग्रेसनीत संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) सत्ता में आई थी।
वहीं चुनाव आयोग का दावा है कि ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता है।
इसके साथ ही सहगल का कहना है कि 2009 के चुनाव के नतीजों का विश्लेषण करने के बाद उनका मानना है कि अगर सावधानी से चुने गए 7,000 बूथों के विजेता उम्मीदवार के 10 फीसदी वोट भी किसी हार रहे उम्मीदवार को ईवीएम में छेड़छाड़ करके दिलवा दिए जाएं तो नतीजे उलट निकल सकते हैं। जैसा कि अनुमान था कि भाजपानीत राजग जीतेगी, लेकिन अप्रत्याशित रूप से संप्रग जीत गई।'
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उन्होंने लिखा है, 'प्रश्न यह है कि क्या ऐसा किया गया? विस्तृत विश्लेषण के बाद मेरा जवाब है बिल्कुल हां।' सहगल का कहना है कि उन्होंने चुनाव आयोग को सूचित किया था कि ईवीएम को सुरक्षित बताने वाले कथित दावों में कई झोल है।
ईवीएम निर्माताओं का दावा है कि एक बार प्रोग्राम कोड लिखने और ईवीएम की मेमोरी में डालने के बाद उसे दोबारा नहीं बदला जा सकता।
सहगल का कहना है, 'इसका मतलब है कि एक बार जब ईवीएम बन गया तो उसमें चुनाव आयोग भी यह जांच नहीं कर सकता कि वह सही है या गलत। क्योंकि निर्माताओं के बनाए प्रोग्राम का कोई की या ट्रोजन नहीं है, जिससे उसके सही होने की जांच चुनाव आयोग कर सके।'
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सहगल का कहना है कि इसका मतलब यह है कि चुनाव आयोग निर्माताओं द्वारा दिए गए सर्टिफिकेट पर आंख मूंद के भरोसा करता है। वह इस बारे में कोई कदम नहीं उठा सकता अगर निर्माताओं ने ही पहले से कोई गड़बड़ी कर रखी हो।
सहगल ने दावा किया है कि तत्कालीन विपक्ष के नेता लाल कृष्ण आडवाणी के आवास पर उन्होंने यह दिखाया था कि ईवीएम से कैसे छेडछाड़ किया जा सकता है। वहां भाजपा नेता वेंकैया नायडू भी उपस्थित थे।
उसके बाद आडवाणी ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया था।
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