रांची:
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने चारा घोटाला मामले में अपनी सजा काटने के लिए गुरुवार को विशेष केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। लालू प्रसाद ने न्यायाधीश एस.एस. प्रसाद के समक्ष आत्मसमर्पण किया, जिन्होंने आदेश दिया कि उन्हें बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार भेजा जाए। न्यायाधीश ने कहा कि जेल से बाद में उन्हें राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) में इलाज के लिए शिफ्ट किया जा सकता है।
झारखंड उच्च न्यायालय ने उन्हें 24 अगस्त को 30 अगस्त तक आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था। वह 11 मई से अंतरिम जमानत पर थे। अदालत में आत्मसमर्पण करने के लिए राजद प्रमुख बुधवार देर शाम झारखंड पहुंचे थे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस नेता सुबोधकांत सहाय और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों (झारखंड मुक्ति मोर्चा) के प्रमुख हेमंत सोरेन व झारखंड विकास मोर्चा-प्रजातांत्रिक के प्रमुख बाबूलाल मरांडी सहित राज्य के नेताओं ने लालू से यहां एक गेस्ट हाउस में मुलाकात की, जहां वह ठहरे हुए थे।
आत्मसमर्पण से पहले लालू यादव ने कहा, 'मुझे न्यायपालिका पर भरोसा है।' दिसंबर 2017 में चारा घोटाले के मामले में दोषी साबित होने के बाद वह रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में थे।
जनवरी और मार्च में उन्हें दो और मामलों में दोषी पाया गया और 14 साल के कारावास की सजा सुनाई गई। साल 2013 में लालू को पहले चारा घोटाले के मामले में दोषी पाया गया था और पांच साल जेल की सजा सुनाई गई थी।
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लालू 1990 के दशक में जब बिहार के मुख्यमंत्री थे, उस समय करोड़ों रुपये का चारा घोटाला सुर्खियों में रहा। पटना उच्च न्यायालय के निर्देश पर मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।
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