जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों के न्यायिक और प्रशासनिक कार्य पर लगाई रोक
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर की सात सदस्यीय अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कर्णन को जनवरी में जारी किए गए नोटिस पर चार सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।
नई दिल्ली:
कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस सी. एस. कर्णन पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई जहां कोर्ट से उन्होंने खुद को प्रशासनिक और न्यायिक कार्यों पर बहाल किए जाने की अपील की। जिसे खारिज कर दिया गया। उसके बाद कर्णन ने दिल्ली में बैठे हुए ही सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई कर रहे सात जजों के खिलाफ आदेश जारी कर उनके न्यायिक और प्रशासनिक कार्य करने पर रोक लगा दी।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सी.एस.कर्णन को उनके खिलाफ जारी किए गए अवमानना नोटिस पर जवाब देने को कहा है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर की सात सदस्यीय अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कर्णन को जनवरी में जारी किए गए नोटिस पर चार सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।
सुनवाई के दौरान केहर ने कर्णन से पूछा क्या वह उनके द्वारा 20 न्यायाधीशों पर लगाए गए आरोपों को वापस लेने चाहते हैं या उस पर विचार करने चाहते हैं या फिर बिना किसी शर्त के माफी मांगना चाहते हैं।
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जैसे ही कर्णन अदालत के समक्ष पेश हुए खंडपीठ ने कर्णन को बताया, "हम आपसे बार-बार पूछ रहे हैं। क्या आप अपने पक्ष पर अडिग हैं या इसके बारे में सोचना चाहते हैं। हम आपको समय देंगे।"
जब अदालत ने कर्णन से चार सप्ताह में जवाब देने को कहा तो कर्णन ने कहा कि उनके न्यायिक एवं प्रशासनिक कार्य को बहाल किया जाना चाहिए, वह केवल तभी अवमानना नोटिस पर जवाब देने की स्थिति में होंगे।
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खंडपीठ ने कर्णन के कामकाज को बहाल करने की उनकी याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। कर्णन ने कहा कि अदालत उनके बयान को रिकॉर्ड कर सकती है क्योंकि वह अगली सुनवाई में पेश नहीं होंगे। उन्हें अभी दंडित कर जेल भेजा जा सकता है।
कर्णन ने कहा कि वह अवमानना नोटिस का जवाब देने की स्थिति में नहीं था। इस पर खंडपीठ ने कहा, "यदि आपको लगता है कि आप जवाब देने की मानसिक स्थिति में नहीं है तो आप चिकित्सीय प्रमाणपत्र दे सकते हैं।"
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क्या है मामला
जस्टिस कर्णन ने 20 अलग-अलग पदों पर नियुक्त जजों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। इस संबंध में उन्होंने शिकायत भी की थी। जस्टिस कर्णन ने सीबीआई को जांच का निर्देश दिया और जांच रिपोर्ट को संसद को देने का निर्देश दिया।
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लेकिन इन आरोपों पर देश के मुख्यन्यायाधीश अदालत की अवमानना करार देते हुए 7 जजों की बेंच गठित कर कर्णन के खिलाफ अवमानना की सुनवाई शुरू की।
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को दो बार कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था, लेकिन वो कोर्ट में पेश नहीं हुए। जिसके बाद उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने 10 मार्च को गिरफ्तारी का वॉरंट जारी कर दिया था। साथ ही उन्हें 31 मार्च से पहले अदालत में पेश होने का आदेश दिया था।
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