logo-image

फेसबुक ने किया बड़ा बदलाव, सियासी विज्ञापनों में दिखेगा पैसे देने वाले का नाम-वेरिफिकेशन के बाद ही जारी होंगे एड

साफ शब्दों में समझा जाए तो अब सियासी विज्ञापनों को देने वाले का नाम आपको पता होगा और सामने आने वाले विज्ञापनों पर उसके राजनीतिक होने की जानकारी दी जाएगी।

Updated on: 07 Apr 2018, 03:25 PM

highlights

  • डेटा लीक के बाद फेसबुक ने कड़े किए विज्ञापनों से जुड़े नियम
  • राजनीतिक विज्ञापनों को बिना सत्यापन के नहीं जारी किया जा सकेगा

नई दिल्ली:

डेटा लीक के बाद आलोचनाओं का सामना कर रहे फेसबुक का ताजा फैसला राजनीतिक दलों के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का बेजा इस्मेताल और उसकी मदद से चुनावों को प्रभावित किए जाने से रोकने के लिए फेसबुक ने बड़ा फैसला लिया है। फेसुबक पर अब बिना वेरिफिकेशन के कोई भी राजनीतिक विज्ञापन नहीं चलाया जा सकेगा।

साफ शब्दों में समझा जाए तो अब सियासी विज्ञापनों को देने वाले का व्यक्ति या संगठन का नाम आपको पता होगा और सामने आने वाले विज्ञापनों पर उसके राजनीतिक होने की जानकारी दी जाएगी।

कैंब्रिज एनालिटका कंपनी पर फेसबुक का डेटा हैक पर चुनावों को प्रभावित करने का आरोप लगा है। इसके बाद भारत सरकार ने साफ तौर पर चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर फेसबुक की मदद से यहां पर चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश की गई, तो उसे कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है।

अब बदले नियम के मुताबिक जो कोई भी व्यक्ति या संगठन राजनीतिक या अन्य मुद्दों के लिए एड खरीदना चाहता हैं, उसे अपनी पहचान सार्वजनिक करनी होगी और सत्यापन होने के बाद ही उसे विज्ञापन प्रकाशित करने की अनुमति मिलेगी।

फेसबुक की यह घोषणा, सीईओ मार्क जुकरबर्ग के कांग्रेस के समक्ष पेश होने से पहले की गई है।

फेसबुक की तरफ से बताया गया है, 'विज्ञापन चलाने वालों को अब राजनीतिक विज्ञापन चलाने की अनुमति नहीं होगी। वेरिफिकेशन के बाद ही ऐसे विज्ञापनों को जारी किया जा सकेगा।'

इसमें कहा गया है कि, 'अब विज्ञापन के बाएं साइड के कोने पर राजनीतिक विज्ञापन भी लिखा होगा। साथ ही इसके पेड होने की भी जानकारी दी जाएगी। हम इस हफ्ते से इसकी शुरुआत कर रहे हैं।'

गौरतलब है कि इससे पहले जुकरबर्ग ने कहा था कि फेसबुक भारत समेत अन्य देशों में होने वाले चुनाव से पहले सुरक्षा फीचर्स को मजबूत करने में लगा हुआ है।

और पढ़ें: फेसबुक ने माना 5 लाख से ज्यादा भारतीयों के डाटा कैम्ब्रिज एनालिटिका ने गलत तरीके से किया शेयर