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EXCLUSIVE REPORT : आतंकियों को अंदर से मिल रही मदद पर लगाएं रोक : रि. ले. ज. ओपी कौशिक

पुलवामा हमले के बाद देश में आतंकवाद खत्म करने और पाकिस्तान को करारा जवाब देने को लेकर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.

Updated on: 21 Feb 2019, 12:12 PM

नई दिल्ली:

पुलवामा हमले के बाद देश में आतंकवाद खत्म करने और पाकिस्तान को करारा जवाब देने को लेकर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को कैसे खत्म किया जाए और कैसे अपने बॉर्डर इनसे सुरक्षित रखे जाएं इसको लेकर देश में चर्चाओं का दौर जारी है. इन्हीं सभी मामलों को लेकर हमने देहरादून में भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल ओपी कौशिक से बात की. ओपी कौशिक हिंदुस्तान के बड़े पूर्व अधिकारियों में से एक हैं, जिन्होंने 1962, 1965 और 1971 की लड़ाई लड़ी है. अलग-अलग ऑपरेशन को लीड करते हुए उन्होंने 15 साल कश्मीर में भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व किया है. कश्मीर और आतंकवाद को लेकर लेफ्टिनेंट जनरल ओपी कौशिक की राय क्या है ? और उनके सुझाव क्या हैं? इस रिपोर्ट के जरिए आपको समझाते हैं...

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मसूद अजहर और हाफिज सईद नहीं है बड़ी दिक्कत
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल ओपी कौशिक बताते हैं कि मसूद अजहर या हाफिज सईद बड़ा कारण नहीं हैं. अगर इन दोनों आतंकियों को भारतीय सेना पकड़ भी ले या मार भी दे तो भी आतंक कम होने में कोई फर्क नहीं पड़ेगा. क्योंकि आतंकियों को सबसे ज्यादा मदद देश के अंदर से मिल रही है. कश्मीर का माहौल ये आतंकी बेस कैंप की तरह प्रयोग कर रहे हैं, क्योंकि जब तक कश्मीर के लोग इन आतंकियों को सपोर्ट करते रहेंगे, यह इसी तरह के कायराना हमले करते रहेंगे. इसलिए भारतीय सेना के लिए बड़ा टारगेट मसूद अजर और हाफिज सईद नहीं है.

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ग्राउंड सपोर्ट करना होगा खत्म
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल ओपी कौशिक का कहना है कि आतंकियों को सबसे ज्यादा जो मदद मिलती है, वह कश्मीर के अलगाववादी नेताओं और आतंक को सपोर्ट करने वाले स्थानीय लोगों से मिलती है. कश्मीर में सबसे ज्यादा दिक्कत सेना को सर्च और पेट्रोलिंग में पेश आ रही है. अलगाववादी नेताओं के भड़काने के चलते कई जगह पर ये लोग सेना को सपोर्ट नहीं कर रहे हैं, जिसकी भारी कीमत सेना को चुकानी पड़ती है. कई बार सेना के सर्च और पेट्रोलिंग का कश्मीरी लोग विरोध करते हैं और इसका सीधा फायदा आतंकियों को मिलता है. उनको छिपने की बड़ी आसानी से जगह मिल जाती है. सेना की मूवमेंट कहां पर है, सेना की पेट्रोलिंग की टाइमिंग क्या है? सेना का खाद्य रसद किन सड़कों से आता है, सेना की कौन सी चौकियां हैं जिन पर ज्यादा चौकसी रहती है? सेना के कौन-कौन से अधिकारी यहां पोस्टेड हैं, यह सभी जानकारियां आतंकी स्थानीय लोगों से बड़ी आसानी से जुटा लेते हैं.

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फंडिंग रोकनी होगी
लेफ्टिनेंट जनरल ओपी कौशिक का कहना है कि हर लड़ाई को लड़ने के लिए पैसे की जरूरत होती है. बॉर्डर पार से पाकिस्तान तो इन आतंकियों को पैसा देता ही है, वहीं कश्मीर के अंदर रहने वाले अलगाववादी नेताओं और अलगाववादी नेताओं के मददगार लोगों को बड़े पैमाने पर फंडिंग हो रही है. हालात यहां तक है कि कई जगह पर कश्मीर के लोग भी इन अलगाववादी नेताओं के लिए फंडिंग जमा करते हैं और यह सारा पैसा कश्मीर के लोगों के विकास पर नहीं बल्कि भारतीय सेना की कार्रवाई के खिलाफ और आतंकियों को मदद करने के लिए होता है ऐसे में इन फंडिंग्स को रोकना बेहद जरूरी है.

आर्टिकल 370 और 35A का दुष्प्रभाव
लेफ्टिनेंट जनरल ओपी कौशिक ने कहा, धारा 370 और उसके ऊपर 35A इन अलगाववादी नेताओं के लिए कवच का काम करती है, क्योंकि स्पेशल एक्ट होने के चलते इन पर कार्रवाई करने में दिक्कतें होती हैं, जिसका फायदा यह लोग बड़ी आसानी से उठा लेते हैं. सेना खुलकर चेकिंग और कश्मीर की बस्तियों में पेट्रोलिंग नहीं कर पाती है. जिसका नुकसान यह होता है कि इन आतंकियों के मंसूबे कामयाब हो जाते हैं. कश्मीर की समस्या का समाधान तभी हो सकता है जब आर्टिकल 370 और 35 को विड्रॉल किया जाए, क्योंकि इसके बाद लोगों में यह डर होगा कि अगर देश के खिलाफ काम करेंगे तो बड़ी कार्रवाई हो सकती है. आज उनके अंदर यह डर नहीं है और अलगाववादी नेताओं के सपोर्ट में वह देश विरोधी काम करने में भी नहीं हिचकिचाते हैं.

हर सेना चेकपोस्ट पर सिविल गाड़ियां भी हो चेक
पुलवामा में हुए हमले को लेकर लेफ्टिनेंट जनरल ओपी कौशिक का कहना है कि पहले कश्मीर में सभी आर्मी चेक पोस्ट पर सिविल गाड़ियां चेक की जाती थीं. सिविल लोगों की पूरी छानबीन और तलाशी ली जाती थी, लेकिन कश्मीरी सरकारों के दबाव के चलते यह सारी चीजें खत्म कर दी गईं. जिसका नतीजा यह हुआ कि सीआरपीएफ की कार्रवाई में सिविल गाड़ियां भी घुस आईं, जिससे यह बड़ा हादसा हुआ. हालात यह है कि अब आर्मी की गाड़ियों की कार्रवाई में सिविल गाड़ियां भी बड़े आराम से चलती नजर आती हैं. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि कश्मीर की सरकारों ने अपने हिसाब से नियमों में बदलाव कर डाले हैं. कश्मीर में जो भी सरकारें रही हैं वह सेना को सपोर्ट करने के लिहाज से काम नहीं करती हैं कश्मीर में गवर्नर अगर मजबूत होंगे तो सेना को कार्रवाई करने में दिक्कत है नहीं होंगी. लेकिन अगर सेना के चेक पोस्ट पर ही गाड़ियां और तलाशी नहीं होगी तो ऐसे हमले रोके नहीं जा सकते हैं.

बॉर्डर के गुर्जर मुसलमानों की लें मदद
लेफ्टिनेंट जनरल ओपी कौशिक ने कहा, बॉर्डर के पास के गांव गुर्जर मुसलमानों के हैं जो पशुओं को चराने का काम करते हैं, लेकिन यह आतंकियों के ट्रूप को गाइड करने का काम भी करते हैं. रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल ओपी कौशिक ने हमसे बात करते हुए बताया कि जब वह कश्मीर में जनरल ऑफिसर इन कमांड थे तो उन्होंने पहली बार एक गुर्जर मुसलमान गाइड को पकड़ा था. उसने पूछताछ में यह बताया था कि वह पाकिस्तान से आतंकियों के ट्रूप्स को उनके कैंप से भारत में लाने का काम करता है और इसकी एवज में उसे एक बार में 40 हजार मिलते हैं. 20 हजार उसे पाकिस्तानी सेना आतंकियों को भारत में ले जाने के लिए देती है और साथ में एक एके-47 राइफल भी देती है, जिसे वह कश्मीर में आकर 10 से 15 हजार रुपये में बेच देता है. पाकिस्तान से वह कुछ खाद्य सामग्री खरीद कर लाता है जो 5 से 6 हजार रुपये में वह कश्मीर में बेच देता है और इस तरह उसे 40 हजार रुपये की कमाई हो जाती है.

लेफ्टिनेंट जनरल ओपी कौशिक ने कहा कि इसके बाद उसे भारतीय सेना की ओर से 60 हजार का ऑफर दिया गया कि वह पाकिस्तानी आतंकियों को जब लाए तो उसे भारतीय सेना को सूचना देनी होगी, जिससे आतंकियों का सफाया हो सके. गुर्जर ने सेना के साथ डील कबूल कर ली. ऐसे में आश्चर्य तब हुआ जब जनरल कौशिक कहते हैं कि उन्होंने जब गुर्जर से कहा, जिस दिन पाकिस्तान से आतंकियों को लेकर आएगा उस दिन सेना को अलर्ट किया जाएगा और उसकी जान को खतरा नहीं होगा. इस पर गुर्जर का कहना था कि कोई भी उसे और आतंकियों के ट्रूप को पकड़ नहीं पाएगा, क्योंकि बॉर्डर पर ऐसे कई खुफिया रास्ते तैयार हैं, जहां किसी की नजर नहीं जाती है इसलिए उसे सेना से कोई खतरा नहीं है. यह सारी बातें जानकर जनरल कौशिक का हैरान रहना भी लाजमी था.

जनरल कौशिक का कहना है कि इसके बाद वह गुर्जर मुसलमान गाइड दो से तीन बार आतंकियों को पूरे प्लान के तहत पाकिस्तान से भारत में लाया और इन आतंकियों का खात्मा किया गया. पहली बार की कार्रवाई में करीब 30 से 40 आतंकी मारे गए और 70 से ज्यादा एके-47 राइफल बरामद हुई. बॉर्डर के गुर्जर मुसलमानों को घाटी के बड़े मुसलमान पसंद नहीं करते हैं, इसलिए समाज से शोषित यह गुर्जर मुसलमान पैसा कमाने की चाह में पाकिस्तानी प्रलोभन के सामने घुटने टेक देते हैं. ऐसे में भारतीय सेना को जरूरत है कि वो इन गाइड्स का बेहतर प्रयोग करे. क्योंकि जानवरों को चराने वाले इन गुर्जर मुसलमान को हर रास्ते की बेहद जानकारी है और इनको कॉन्फिडेंस में लेने से ऑपरेशन करने में ज्यादा आसानी होती हैं.

सेना के पास दक्ष कमांडो मौजूद
लेफ्टिनेंट जनरल ओपी कौशिक ने कहा, भारतीय सेना के पास बहुत ही काबिल कमांडो फोर्स है. कश्मीर में सेवा के अवसर के दौरान उन्होंने ब्लैक कैट कमांडो के फोर्स तैयार की थी. जो बिना किसी सूचना के कश्मीर के भीतर मौजूद आतंकियों का सफाया करती थी, क्योंकि ज्यादा लोगों को ऑपरेशन में शामिल करने से ऑपरेशन के परिणाम बेहतर नहीं निकलते हैं इसलिए ऑपरेशन कुछ कमांडो के हाथों में दिए जाएं और उन्हें पूरी पावर दी जाए. बॉर्डर पार के आतंकी कैंपों में कमांडोज अपनी कार्रवाई करेंगे और आतंकियों के मंसूबे कामयाब नहीं हो पाएंगे. जनरल ओपी कौशिक बताते हैं कि कश्मीर में एक गवर्नर ऐसे भी रहे जिनका नेटवर्क बहुत जबरदस्त था. उनके पास कई बार आतंकियों के कश्मीर में छिपे रहने की पूरी सूचनाएं आती थीं और भारतीय सेना की मदद से उन्होंने बड़े पैमाने पर आतंकियों का खात्मा भी किया था, इसलिए जरूरत है कि प्लान फुल प्रूफ हो और ज्यादा लोगों में इनकी चर्चाएं न हो.

सर्जिकल स्ट्राइक और ऑपरेशन की हल्ला न हो
जनरल पी कौशिक ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक जैसे बड़े ऑपरेशन और आतंकियों के कैंप खत्म करने के लिए किए जाने वाले रूटीन ऑपरेशन का हल्ला बाहर नहीं होना चाहिए, क्योंकि ऐसे में आतंकी और पाकिस्तानी सेना को संभलने का मौका मिल जाता है. इसलिए कार्रवाई गुपचुप हो और फुल प्लानिंग के साथ हो तो परिणाम बेहतर निकलेंगे. लेफ्टिनेंट जनरल ओपी कौशिक भारतीय सेना के रिटायर्ड अधिकारी हैं. कश्मीर में अलग-अलग रैंक में तैनात रहने के दौरान उन्होंने अलग-अलग ऑपरेशन में कई बड़ी कामयाबी हासिल की है. बांग्लादेश की लड़ाई में जनरल सगत सिंह के साथ मुख्य भूमिका निभाई है. लेफ्टिनेंट जनरल ओपी कौशिक नेशनल सिक्योरिटी गार्ड एनएसजी में मेजर जनरल भी रहे हैं. एनएसजी के निर्माण में ओपी कौशिक के योगदान को काफी सराहा जाता है.