मिशन 'पूर्वोतर' की तैयारी में BJP, फरवरी में 3 अहम राज्यों में चुनाव
पूर्वोत्तर के तीन राज्यों की 180 विधानसभा सीटें दांव पर हैं। त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में विधानसभा चुनाव फरवरी के अंतिम सप्ताह में होने वाले है।
नई दिल्ली:
देश की राजनीति के लिए 2017 की शुरुआत जहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के लिए राजनीति में अपना दबदबा कायम करने के लिहाज से अहम थी, तो वहीं साल का अंत (गुजरात चुनाव) उन्हें अपनी रणनीति पर दोबारा से सोचने के लिए मजबूर कर गया।
वर्ष 2018 में चुनावों का आगाज फरवरी माह से होने जा रहा है, जहां पूर्वोत्तर के तीन राज्यों की 180 विधानसभा सीटें दांव पर हैं। त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में विधानसभा चुनाव फरवरी के अंतिम सप्ताह में होने वाले है। इसके लिए निर्वाचन आयोग अगले सप्ताह तारीखों का ऐलान कर सकता है।
पूर्वोत्तर के इन तीनों ही राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकारें हैं, त्रिपुरा में जहां सत्ता पर पिछले 20 सालों से मणिक सरकार के नेतृत्व वाली मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का कब्जा है, तो नागालैंड में नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के नेतृत्व वाले 'नगालैंड के लोकतांत्रिक गठबंधन' को सत्ता हासिल है। इसके अलावा मेघालय की कमान कांग्रेस के मुकुल संगमा के हाथों में है।
त्रिपुरा
त्रिपुरा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं का करीब 10.477 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र साझा करता है।
राज्य बांग्लादेश के साथ 839 किलोमीटर की अंतर्राष्ट्रीय सीमा और असम व मिजोरम के साथ क्रमश 53 और 109 किलोमीटर की राष्ट्रीय सीमा साझा करता है। इस राज्य में 1000 फीट से लेकर 3200 फीट तक पहाड़ी श्रेणियां हैं, जिनमें जामपुरी, लोंगतराइ, साकान और बारामुरा शामिल हैं।
हरी पहाड़ियों और सुनहरे रंग के संतरे पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। हाल ही में त्रिपुरा ने केरल (93.91) प्रतिशत को पीछे छोड़कर 94.65 फीसदी साक्षरता दर हासिल की है।
राजनीतिक रूप से त्रिपुरा में विधानसभा की 60 सीटें हैं। इसके अलावा राज्य की कुल आबादी 2012 की जनगणना के मुताबिक 36.58 लाख है। आठ जिलों के साथ राज्य में दो लोकसभा सीट है साथ ही यहां की सरकार राज्यसभा में अपना एक प्रतिनिधि भेजती है।
क्षेत्रीय राजनीति में बीजेपी, कांग्रेस, माकपा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (रांकपा) मुख्य पार्टियां है जबकि चुनाव में जनता दल (युनाइटेड), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, समाजवादी पार्टी (सपा) जैसे दल अपनी किस्मत आजमाते हैं।
मेघालय
वहीं पूर्वोत्तर में असम से 21 जनवरी 1972 को अलग होकर बने मेघालय राज्य के 11 जिलों में विधानसभा की 60 सीटें हैं, जबकि यहां से भी लोकसभा के दो और राज्यसभा के एक प्रतिनिधि चुने जाते हैं।
इस राज्य की 60 में से 55 सीटें आरक्षित हैं और पांच अनारक्षित। कुल 22,429 वर्ग किलोमीटर में फैले मेघालय की कुल जनसंख्या 2001 की जमगणना के मुताबिक 23,06,069 है। साथ ही राज्य की साक्षरता दर 77 फीसदी है।
बात करें क्षेत्रीय राजनीति की, तो राज्य में वर्तमान सरकार कांग्रेस की है और मुकुल संगमा राज्य के मुख्यमंत्री हैं। राज्य में नौ निर्दलियों के बूते पर टिकी कांग्रेस को दिसंबर माह में तब तगड़ा झटका लगा था।
जब पार्टी के पांच विधायकों ने इस्तीफा देकर राजग के घटक दल के साथ जाने का ऐलान किया था। वर्तमान में कांग्रेस के 24 विधायक हैं।
नागालैंड
वहीं पूर्वोत्तर के तीसरे राज्य नागालैंड में भी फरवरी के अंत में चुनाव होने हैं। नागालैंड की सीमा पश्चिम में असम, पूर्व में म्यांमार और दक्षिण मे मणिपुर से मिलती है। नागालैंड एक दिसंबर 1963 को भारत के 16वें राज्य के रूप में सामने आया था।
16,579 वर्ग किलोमीटर में फैले नागालैंड के 11 जिलों की 60 विधानसभा सीटे हैं।
राज्य की साक्षरता दर मेघालय के मुकाबले अधिक है, राज्य की साक्षरता दर 79.55 फीसदी है। इस राज्य की सबसे अधिक हैरान करने वाली बात यहां की जनसंख्या है। 2011 की जनगणना के अनुसार, नागालैंड की जनसंख्या 19.79 लाख है, जो 2001 की जनगणना में 19.90 लाख की आबादी से कम है।
नागालैंड में टी. आर. जेलियांग के नेतृत्व वाली नगा पीपुल्स फ्रंट की सरकार है।
राज्य की राजनीति में बीजेपी, कांग्रेस और रांकपा मुख्य दल है, जबकि एनपीएफ राज्य में अपनी मौजूदगी दर्ज कराता है। इसके अलावा जनता दल (युनाइटेड) और राजद भी चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमाते रहे हैं।
क्षेत्रीय पार्टियों के साथ बीजेपी और कांग्रेस भी मैदान
पूर्वोत्तर के इन तीन राज्यों में बीजेपी अपना आधार मजबूत करने की जुगत में है तो वहीं कांग्रेस नागालैंड में एनपीएफ से काफी पीछे हो चुकी है, पिछले दो चुनाव में एनपीएफ ने कांग्रेस को हाशिए पर रखने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है और मेघालय में हालात पार्टी के मुफिद होते नहीं दिखाई दे रहे हैं।
वहीं त्रिपुरा माकपा का अभेद्य किला बन चुका है, जिसे भेद पाना कांग्रेस और बीजेपी के लिए खासा मुश्किल सा दिखाई दे रहा है। ऐसे में इन तीन राज्यों की जंग क्षेत्रीय और मुख्य पार्टियों के बीच जोरदार रहने वाली है।
यह भी पढ़ें: Bigg Boss 11: इस वजह से शो की विनर बनीं शिल्पा शिंदे, देखें पूरा सफर
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Good Friday 2024: क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे, जानें प्रभु यीशु के बलिदान की कहानी
-
Sheetala Ashtami 2024: कब है 2024 में शीतला अष्टमी? जानें पूजा कि विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व
-
Chaitra Navaratri 2024: भारत ही नहीं, दुनिया के इन देशों में भी है माता के शक्तिपीठ
-
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनुसार देश का शासक कैसा होना चाहिए, जानें