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'लाभ के पद' के मामले में मनीष सिसोदिया और विधायक सुरिंदर सिंह को चुनाव आयोग ने दी क्लीन चिट

'लाभ के पद' विवाद से जुड़े मामले में चुनाव आयोग ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री और पार्टी के विधायक सुरिंदर सिंह को क्लीन चिट दे दी है।

Updated on: 30 Apr 2017, 04:39 PM

नई दिल्ली:

'लाभ के पद' विवाद से जुड़े मामले में चुनाव आयोग ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री और पार्टी के विधायक सुरिंदर सिंह को क्लीन चिट दे दी है। चुनाव आयोग ने पिछले साल यह मामला राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को सौपा था। 

एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक सिसोदिया और सुरिंदर को चुनाव आयोग से क्लीन चिट मिली है। इससे पहले पिछले साल बीजेपी नेता विवेक गर्ग ने राष्ट्रपति से अपील की थी कि सिसोदिया की राज्य विधानसभा सदस्य्ता को रद्द कर दिया जाये।

'आप' विधायक सुरिंदर सिंह पर चार सरकारी फ्लैटों पर गैरकानूनी कब्जे से नई दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) की सदस्यता से लाभ लेने का आरोप है

आयोग ने दोनों विधायकों को क्लीन चिट देने का फैसला किया जिसे राष्ट्रपति के कार्यालय में हाल ही में भेजा गया था

पहले केजरीवाल ने चुनाव आयोग के निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि रावत और जोती केंद्र में सत्तारूढ़ शासन के करीब थे। आयोग की विश्वसनीयता बनाये रखने के लिए रावत ने अपने आप को इस केस की सुनवाई से बचा लिया था। इससे पहले आयोग ने अपना फैसला सिसोदिया और सुरिंदर सिंह के हित में सुनाया था।

वर्तमान में पहली शिकायत चुनाव पैनल द्वारा सुनाई जा रही है 

21 आम आदमी पार्टी के विधायकों की अयोग्यता की मांग है। दिल्ली सरकार के अलग-अलग मंत्रियों की सहायता के लिए उन विधायकों ने संसदीय सचिवों के रूप में मंत्रियों को असंवैधानिक रूप से नियुक्त किया था।

दूसरी याचिका में  दिल्ली के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में मरीज कल्याण समितियों के अध्यक्षों के रूप में 'लाभ के पद' रखने के लिए 27 विधायकों को अयोग्य ठहराया है।

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आयोग पहले सिसोदिया पर लगे आरोपों के बारे में आश्वस्त नहीं था क्योंकि उपमुख्यमंत्री का पद भी दूसरे राज्यों में बनाया गया है और देश में एक समय पर एक उप प्रधान मंत्री भी रह चुके है ।

2006 में जया बच्चन को राज्य सभा से बर्खास्त कर दिया गया था क्योंकि वह 'उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद' की अध्यक्ष भी थी और इसे 'लाभ के पद' माना जाता था। 

उसी साल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिआ गांधी ने यूपीए -1 के तहत राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने के चलते उन्हें लोकसभा सांसद के सदस्य से इस्तीफ़ा दे दिया था

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