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EC ने चुनाव सुधार का दिया भरोसा, कांग्रेस ने बैलट पेपर से चुनाव कराने की रखी मांग

मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने कहा कि सभी राजनीतिक दल चुनाव की पवित्रता में सुधार के लिए काफी सकारात्मक और रचनात्मक सुझावों और तरीकों को रखा।

Updated on: 27 Aug 2018, 06:13 PM

नई दिल्ली:

लोक सभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) जैसे अहम मुद्दों सहित सोमवार को चुनाव आयोग की तरफ से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में चुनावी प्रक्रिया पर चर्चा की गई। कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग के सामने एक बार फिर 2019 लोक सभा चुनाव बैलट पेपर से कराने की अपील की। बैठक में सभी 7 राष्ट्रीय दलों और 51 राज्य की राजनीतिक पार्टियों को चर्चा के लिए बुलाया गया था।

बैठक के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने कहा, 'कुछ दलों ने कहा कि ईवीएम और वीवीपीएटी के साथ समस्याएं हैं। इन चीजों को आयोग ने नोट कर लिया है।'

ओ पी रावत ने कहा, 'सभी राजनीतिक दल चुनाव की पवित्रता में सुधार के लिए काफी सकारात्मक और रचनात्मक सुझावों और तरीकों को रखा। चुनावों को सही तरीके से कराने के लिए सभी पार्टियों के सुझावों पर आयोग निरीक्षण करेगा।' रावत ने कहा कि कुछ दलों ने कहा कि बैलट पर चुनाव कराना गलत होगा क्योंकि इससे बूथ कैप्चरिंग वापस आ जाएगा।

इससे पहले भी मार्च महीने में कांग्रेस पार्टी ने ईवीएम छेड़छाड़ का आरोप लगाकर 2019 लोक सभा चुनाव बैलट पेपर से कराने की मांग की थी। 2 अगस्त को तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) समेत 17 राजनीतिक दलों ने कांग्रेस के साथ मौजूदा चुनाव प्रक्रिया पर अविश्वास जताया था।

एक साथ चुनाव कराने की बात हो चुकी है खारिज

बता दें कि चुनाव आयोग ने हाल ही में देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने की संभावनाओं पर विराम लगा दिया था। मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने गुरुवार को कहा कि देश में अभी एक साथ चुनाव कराने का कोई चांस नहीं है।

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ओ पी रावत ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने की जरूरत है। इससे पहले संभावना जताई जा रही थी कि इस साल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में होने वाले विधानसभा चुनाव को अगले साल अप्रैल-मई 2019 में होने वाले लोक सभा चुनाव के साथ कराया जा सकता है।

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ईवीएम की असफलता पर एक बार फिर से बोलते हुए रावत ने कहा था कि भारत के कई हिस्से में ईवीएम प्रणाली को लेकर सही जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, 'ईवीएम असफल होने की दर सिर्फ 0.5% से लेकर 0.6% है और मशीन की असफलता का यह औसत स्वीकार्य है।'