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बेटे की चाहत से लेकर जीएसटी तक, आर्थिक सर्वेक्षण की 10 बड़ी बातें

साल 2017-2018 का बजट पेश होने से ठीक तीन दिन पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया।

Updated on: 29 Jan 2018, 07:06 PM

नई दिल्ली:

वित्तीय साल 2018-19 के लिए बजट पेश होने से ठीक तीन दिन पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। इस सर्वेक्षण में सरकार ने अगले वित्तीय साल में देश की जीडीपी 7 से 7.5 फीसदी तक रहने की उम्मीद जताई।

आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त मंत्री ने देश के वित्तीय हालात और विकास के लिए रूपरेखा पेश की जिसमें 10 सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों को शामिल किया गया है।

पंजीकृत प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या में भारी बढ़ोतरी

वित्त मंत्रालय के मुताबिक जीसएटी से भारतीय अर्थव्यवस्था में नये दौर का आगाज हुआ है। सर्वे में सामने आया है कि देश अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और छोटे कारोबारी भी टैक्स के दायरे में आए हैं। वहीं आयरकर रिटर्न भरने वालों की संख्या भी 18 लाख तक बढ़ी है। जीएसटी से मिलने वाले टैक्स को राज्य के अर्थव्यवस्था से जोड़कर उसे बड़ा आकार दे दिया गया है।

औपचारिक गैर-कृषि भुगतान अनुमान से कहीं ज्यादा

भारत का गैर कृषि सेक्टर अनुमान से कहीं ज्यादा पाया गया है। ईपीएफओ/ईएसआई जैसे सामाजिक सुरक्षा वाले प्रावधानों के तय पैमाने पर प्रत्यक्ष तौर पर फॉर्मल सेक्टर में पे-रोल कुल वर्क फोर्स का करीब 31 फीसदी रहा है। जीएसटी की वजह से यह बढ़कर 53 फीसदी तक हो जाएगी।

राज्यों की खुशहाली, उनके अंतरराष्ट्रीय और अंतरराज्यीय व्यापार से संबंधित

आर्थिक सर्वेक्षण में पहली बार राज्यों के अंतरराष्ट्रीय निर्यात से जुड़े आंकड़ों को शामिल किया गया है। आंकड़ों में राज्य के निर्यात से जुड़े प्रदर्शन और वहां रहे रहे लोगों के जीवन पर उसका पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव का संकेत मिलता है।

आंकड़ों के मुताबिक जिस राज्य का निर्यात ज्यादा पाया गया है वह दूसरों राज्यों के मुकाबले ज्यादा समृद्ध पाया गया है। इसको अगर सीधे तौर पर देखें तो निर्यात राज्य की जनता की खुशहाली से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है।

भारत का सुदृढ़ निर्यात ढांचा अन्य देशों की अपेक्षा अधिक समतावादी

आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों में भारत का निर्यात को लेकर एक असमान्य बात सामने आई है। देश में बड़ी कंपनियों की निर्यात में हिस्सेदारी बेहद कम है जबकि इसके ठीक उलट दूसरे देशों में स्थिति विपरीत है। निर्यात के मामले में विश्व में भारती की हिस्सेदारी करीब 38 फीसदी है लेकिन ये हिस्सेदारी सिर्फ देश के टॉप 1 फीसदी कंपनियों के पास हैं। भारत के टॉप 5 या टॉप 10 कंपनियों में कमोबेश यही स्थिति है।

कपड़ा प्रोत्साहन पैकेज से सिले-सिलाए कपड़ों के निर्यात में बढ़ोतरी

राज्य सरकारों के सिले-सिलाए कपड़ों पर टैक्स (ROSL) में छूट के बाद इनके निर्यात में करीब 16 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

भारतीय समाज में बेटे की चाहत ज्यादा

आर्थिक सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आई है कि 21वीं सदी में भारतीय समाज में बेटे की चाहत सबसे ज्यादा है। ज्यादातर माता-पिता तब तक अपना परिवार बढ़ाते रहते हैं जबतक उन्हें बेटा नहीं मिल जाता। सर्वेक्षण में लड़के और लड़कियों के अनुपात में कमी होने का पता भी है। इस अनुपात को इंडोनेशिया में जन्म लेने वाले बालक-बालिकाओं के रेशियो से भी तुलना की गई है।

कर क्षेत्र में अत्यधिक मुकदमेबाजी से सरकार की कार्रवाई से लाई जा सकती है कमी

आर्थिक सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आई है कि भारत में टैक्स वसूलने वाले विभाग ने टैक्स से जुड़े कई विवादों को चुनौती दी है। हालांकि इसमें सफल होने का अनुपात बेहद कम रहा है। यह दर करीब 30 फीसदी से कम आंकी गई है। कर से जुड़े करीब 66 फीसदी केस में सिर्फ 1.8 फीसदी ही पैसे से संबंधित है। सिर्फ 0.2 फीसदी मुकदमे में 56 फीसदी राशि दांव पर है।

बचत को बढ़ावा देने से ज्यादा महत्वपूर्ण निवेश में नई जान फूंकना

आर्थिक सर्वेक्षण में बचत से ज्यादा निवेश करने पर जोर दिया गया है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि बचत में बढ़ोतरी से विकास दर पर कोई फर्क नहीं पड़ा जबकि निवेश में वृद्धि से आर्थिक विकास सुनिश्चित हुआ है।

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भारतीय राज्यों और स्थानीय सरकारों द्वारा निजी प्रत्यक्ष कर संग्रह दूसरे देशों की अपेक्षा कम

सर्वेक्षण में यह निकलकर भी सामने आया है कि भारत में राज्य सरकार दूसरे देशों के मुकाबले में प्रत्यक्ष कर संग्रह बेहद कम है। इसके लिए ब्राजील, जर्मनी के स्थानीय सरकारों के राज्यस्व इकट्ठा करने की तुलनात्मक तस्वीर भी सामने रखी गई है।

अत्यंत खराब मौसम से कृषि पैदावार पर प्रतिकूल असर

सर्वेक्षण में ग्लोबल वार्मिंग और उससे खेती में पैदा हो रही चुनौतियों का जिक्र भी किया गया है। जलवायु परिवर्तन की वजह से कृषि पैदावार पर व्यापक असर पड़ा है। तापमान में बढ़ोतरी और बारिश में कमी से खेती में पैदा हो रही दिक्कतों को दिखाया गया है। इस तरह का असर सिंचिंत क्षेत्र के मुकाबले गैर सिंचित क्षेत्र में ज्यादा पाया गया है।

मोदी सरकार 1 फरवरी को इस सरकार का आखिरी पूर्णकालिक बजट पेश करेगी।

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