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खरीफ फसलों की एमएसपी निर्धारण करने में मोदी सरकार विफल, करेंगे प्रदर्शन: किसान संगठन

एआईकेएससीसी के नेताओं ने मीडिया से बातचीत में कहा कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार एमएसपी नहीं देकर सरकार अपने चुनावी वादे को पूरा करने में विफल रही है।

Updated on: 14 Jul 2018, 11:13 PM

नई दिल्ली:

ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वयन समिति (एआईकेएससीसी) ने शनिवार को कहा कि खरीफ फसलों का उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का निर्धारण करने में नरेंद्र मोदी सरकार के विफल रहने के खिलाफ देशभर में किसान प्रदर्शन करेंगे।

एआईकेएससीसी के नेताओं ने मीडिया से बातचीत में कहा कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार एमएसपी नहीं देकर सरकार अपने चुनावी वादे को पूरा करने में विफल रही है। साथ ही, एमएसपी में की गई वृद्धि को ऐतिहासिक वृद्धि बताकर सरकार ने किसानों को मूर्ख बनाया है।

किसान नेताओं ने बताया कि 20 जुलाई को काले झंडे के साथ मंडी हाउस से लेकर संसद मार्ग तक मार्च निकाला जाएगा।

इसके बाद भारत छोड़ो आंदोलन की बरसी पर नौ अगस्त को किसान मुक्ति दिवस मनाया जाएगा और किसान इस दिन जेल भरो आंदोलन में शामिल होंगे।

एआईकेएससीसी के अनुसार, 30 नवंबर को देशभर के किसान कर्ज़ माफी और बेहतर कृषि पारिश्रमिक से जुड़े दो विधेयक पास करवाने पर दबाव बनाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी का घेराव करेंगे।

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एआईकेएससीसी का स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार ने खरीफ फसलों का एमएसपी लागत के ए2 प्लस एफएल के फॉर्मूले पर तय किया, जबकि स्वामीनाथन आयोग ने सी-2 फार्मूले पर एमएसपी तय करने की सिफारिश की है।

उन्होंने कहा, बीजेपी लागत का डेढ़ गुना लाभ देने का दावा करती है और एमएसपी वृद्धि को ऐतिहासिक बताती है, जो कि गलत है। यह सी-2 पर आधारित नहीं है। सी-2 पर धान का एमएसपी 2,340 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए, जबकि सरकार ने 1,750 रुपये तय किया है। इसका मतलब है कि किसानों को प्रति क्विंटल 590 रुपये का घाटा होगा।

उन्होंने कहा कि मोदी जब यह कहते हैं कि एमएसपी में की गई वृद्धि ऐतिहासिक है तो वह झूठ बोलते हैं। चुनावी साल में फसलों के दाम में वृद्धि कोई नई बात नहीं है। यूपीए सरकार ने भी 2008-09 में सभी फसलों की कीमतों में 50 फीसदी की वृद्धि की थी। लेकिन बीजेपी द्वारा की गई वृद्धि एक फसल को छोड़कर बाकी में 50 फीसदी से कम है।

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