नोटबंदी की रिपोर्ट पर बवाल: राहुल गांधी के निशाने के बाद अरुण जेटली का पलटवार, कहा- अल्पज्ञान खतरनाक
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार पर लगाए आरोपों पर पलटवार करते हुए उनके आरोपों को मनगढ़ंत करार दिया।
नई दिल्ली:
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार पर लगाए आरोपों पर पलटवार करते हुए उनके आरोपों को मनगढ़ंत करार दिया। राहुल गांधी का आरोप है कि मोदी सरकार ने अपने 15-20 हितैषी उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए नोटबंदी की थी। अरुण जेटली ने नोटबंदी के हालिया रिपोर्ट को लेकर राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि अल्पज्ञान खतरनाक होता है।
अरुण जेटली ने ट्वीट कर कहा, 'राहुल गांधी ने एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति या फंसे हुए कर्ज) धारकों की मदद के लिए नोटबंदी की मनगढंत बातें करते समय यह भूल गए कि मोदी सरकार ने आईबीसी (ऋणशोधन अक्षमता और दिवालिया कोड) का कानून बनाकर उसे लागू किया है जिसके तहत एनपीए के चूककर्ताओं को अपनी कंपनियां गंवानी पड़ गई है।'
मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली पर अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने का आरोप लगाते हुए गांधी ने कहा कि एनपीए जो संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के कार्यकाल में 2.5 लाख करोड़ रुपये था वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार में बढ़कर 12 लाख करोड़ रुपये हो गया।
जेटली के राहुल गांधी पर पटलवार करने से पहले गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऊपर हमला करते हुए कहा कि नोटबंदी एक घोटाला था, जिसके पीछे मुख्य मकसद उनके हितैषी 15-20 बड़े उद्योगपतियों को मदद करना था जिनका कर्ज एनपीए में तब्दील हो गया था।
राहुल गांधी ने कहा कि मोदी मित्रों ने नवंबर 2016 की नोटबंदी के बाद अपने काले धन को सफेद कर लिया। जेटली ने राफेल जेट लड़ाकू विमान सौदे के संबंध में राहुल द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर भी उनपर हमला किया।
वित्तमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'राहुल गांधी ने मेरा सवाल नहीं पढ़ा है। हथियार से पूरी तरह लैस राफेल विमान के 2016 के सौदे में कीमत 2007 की पेशकश के मुकाबले 20 फीसदी कम है।'
राहुल गांधी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए नोटबंदी को जानबूझकर लोगों पर किया गया हमला करार दिया और कहा कि इसका मकसद भारत के सबसे अमीर और भ्रष्ट लोगों को उनके कालेधन को सफेद करने का मौका देना था। इसके लिए गरीबों की जेब से पैसे निकाले गए और अमीरों को दिए गए।
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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को बताया कि नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद चलन से बाहर हुए 99 फीसदी से ज्यादा नोट उसके पास लौट चुके हैं।
आरबीआई ने 2017-18 की अपनी सालाना रपट में कहा कि चलन से बाहर हुए 500 और 1,000 रुपये के प्रतिबंधित नोटों की जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद पाया गया कि बैंक के पास वापस हुए कुल विमुद्रीकृत नोटों का मूल्य 15.3 लाख करोड़ रुपये है, जो आठ नवंबर, 2016 को कुल विमुद्रीकृत नोटों के मूल्य 15.4 लाख करोड़ रुपये का 99.3 फीसदी है।
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