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देश में ठीक नहीं 'राजनीतिक माहौल', आर्कबिशप की चिट्ठी पर भड़की बीजेपी

दिल्ली के मुख्य पादरी ने देश के लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को खतरे में बताया है और इसाई समुदाय को इसके लिए 2019 के लोकसभा चुनाव तक प्रार्थना करने और उपवास रखने को कहा है।

Updated on: 22 May 2018, 03:08 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली के मुख्य पादरी ने देश के लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर मंडरा रहे 'खतरे' के प्रति आगाह करते हुए इसाई समुदाय से 2019 के लोकसभा चुनाव तक देश के लिए 'प्रार्थना' करने और उपवास रखने को कहा है।

दिल्ली के मुख्य पादरी अनिल काउटो ने राजधानी दिल्ली के सभी चर्च और ईसाई संस्थानों को सर्कुलर जारी कर अगले एक साल तक 'राष्ट्रहित' के लिए ईसाई समुदाय के सभी लोगों से हर शुक्रवार को उपवास रखने और 'प्रार्थना' करें।

सर्कुलर में लिखा गया है, 'देश में अशांत राजनीतिक माहौल से हमारे लोकतांत्रिक सिद्धांतों और संविधान की धर्मनिरपेक्षता को खतरा है जिसके हम सब गवाह बन रहे हैं।'

आर्कबिशप के इस सर्कुलर पर बीजेपी नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, 'प्रधानमंत्री बिना भेदभाव किए समावेशी विकास की तरफ काम कर रहे हैं और धर्म और जाति के बंधनों को तोड़ रहे हैं। हम सिर्फ उनसे इतना कहना चाहते हैं कि वे प्रगतिशील नजरिये से सोचें।'

आर्कबिशप के इस सर्कुलर पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'मैंने पत्र नहीं देखा है लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि भारत उन देशों में एक है जहां अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं और किसी को जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव करने की इजाजत नहीं देता है।'

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस मुद्दे पर जवाब देते हुए कहा, 'हर क्रिया की एक प्रतिक्रिया होती है। मैं ऐसा कदम नहीं उठाउंगा जिससे सांप्रदायिक सद्भावना बिगड़ जाए। लेकिन अगर चर्च मोदी सरकार के नहीं बनने को लेकर लोगों को प्रार्थना करने को कहे, तो देश को सोचना पड़ेगा कि दूसरे धर्मों के लोग 'कीर्तन पूजा' करेंगे।'

बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रिया के बाद दिल्ली के आर्कबिशप अनिल काउट ने कहा, 'और मैं क्या कहूं? चुनाव और सरकार हमें चिंतित कर रही है। हमारी सरकार ऐसी होनी चाहिए जो ईसाई लोगों की स्वतंत्रता, अधिकारों और कल्याण की चिंता करे। मैं कोई विभाजनकारी राजनीति नहीं कर रहा हूं। हम सिर्फ प्रार्थना कर रहें हैं कि देश को सही दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।' 

वहीं मुख्य पादरी के इस कदम को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) विचारक राकेश सिन्हा ने भारतीय धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर सीधा हमला बताया है।

उन्होंने कहा, 'यह चर्च के द्वारा भारतीय धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर सीधा हमला है और यह वेटिकन के द्वारा सीधा हस्तक्षेप है। क्योंकि ये सभी पादरी पोप के द्वारा नियुक्त किए गए हैं। उनकी जवाबदेही पोप के प्रति है न कि भारत के प्रति।'

दिल्ली के आर्कबिशप के सचिव फादर रॉबिनसन ने कहा, 'आर्कबिशप का पत्र राजनीतिक नहीं है। न ही ये सरकार के खिलाफ है और न ही माननीय प्रधानमंत्री के खिलाफ है। गलत सूचना नहीं फैलायी जानी चाहिए। यह प्रार्थना के लिए सिर्फ एक निमंत्रण है और ऐसे पत्र पहले भी लिखे जा चुके हैं।'

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