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दिल्ली में नहीं सुधरी हवा की गुणवत्ता तो निजी वाहन पर लगेगी रोक: EPCA

प्राधिकरण के चेयरमैन भूरे लाल ने कहा कि अगर आने वाले दिनों में दिल्ली और उनसे सटे इलाक़ों में हवा की गुणवत्ता और बिगड़ी तो नए विकल्पों पर विचार किया जाएगा. इतना ही नहीं उन्होंने निकट भविष्य में निजी गाड़ियों पर रोक लगाने के भी संकेत दिए हैं.

Updated on: 30 Oct 2018, 03:44 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली-एनसीआर में वायु की लगातार बिगड़ती हालात को लेकर अब पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (EPCA) सजग हो गया है. इस बारे में बात करते हुए प्राधिकरण के चेयरमैन भूरे लाल ने कहा कि अगर आने वाले दिनों में दिल्ली और उनसे सटे इलाक़ों में हवा की गुणवत्ता और बिगड़ी तो नए विकल्पों पर विचार किया जाएगा. इतना ही नहीं उन्होंने निकट भविष्य में निजी गाड़ियों पर रोक लगाने के भी संकेत दिए हैं.

प्राधिकरण के चेयरमैन भूरे लाल ने कहा, '1 नवम्बर से हमलोग उन्नत एक्शन प्लान पर काम करेंगे. उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में दिल्ली में प्रदुषण का स्तर और ख़राब नहीं होगा, अन्यथा हमें निजी वाहनों पर रोक लगानी होगी. लोगों को आवाजाही के लिए सिर्फ सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना होगा.'

बता दें कि मंगलवार को भी दिल्ली में धुंध की मोटी चादर छाई रही. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में है और प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है. सोमवार को जारी सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक, समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 348 दर्ज किया गया जो 'बहुत खराब' श्रेणी दर्शाता है.

शहर में अलग-अलग जगहों पर बनाए गए 29 निगरानी केंद्रों ने हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में दर्शाई जबकि चार केंद्रों ने हवा की गुणवत्ता 'अत्यंत गंभीर' श्रेणी की बताई. एक्यूआई का स्तर 0 से 50 के बीच 'अच्छा' माना जाता है. 51 से 100 के बीच यह 'संतोषजनक' स्तर पर होता है और 101 से 200 के बीच इसे 'मध्यम' श्रेणी में रखा जाता है. हवा की गुणवत्ता का सूचकांक 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच 'अत्यंत गंभीर' स्तर पर माना जाता है. 

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 में जहरीली हवा से देश में एक लाख से ज्यादा मासूम बच्चों की मौत हो गई. इनमें पांच साल से कम उम्र के 60,987 बच्चे शामिल हैं. रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में प्रदूषित हवा के चलते साल 15 साल से कम उम्र के छह लाख बच्चों की मौत हो गई.

WHO की रिपार्ट बताती है कि भारत समेत निम्न और मध्यम आय-वर्ग के देशों में पांच साल से कम उम्र के 98 फीसद बच्चे साल 2016 में अतिसूक्ष्म कणों से पैदा वायु प्रदूषण के शिकार हुए. पांच साल से कम उम्र के 60,987 बच्‍चे पीएम 2.5 यानी हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों के चलते मारे गए.

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वायु प्रदूषण से बच्चों की मौत के मामले में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है. भारत के बाद नाईजीरिया दूसरे नंबर पर है, जहां 47,674 बच्‍चों की जानें गई हैं. पाकिस्‍तान में 21,136 बच्‍चे प्रदूषण का शिकार हुए. भारत में प्रदूषण से हुई मौत पूरी दुनिया में हुई मौतों का 25% है.