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निर्भयाकांड के पांच साल, मां ने कहा- अभी तक नहीं मिला न्याय

निर्भया की मां आशा देवी ने इस गैंगरेप की घटना के पांच वर्ष पूरे होने पर कहा कि पांच साल बीत जाने के बाद भी वे आरोपी आज जिंदा हैं।

Updated on: 16 Dec 2017, 05:26 PM

नई दिल्ली:

निर्भया की मां आशा देवी ने इस गैंगरेप की घटना के पांच वर्ष पूरे होने पर कहा कि आज भी न्याय नहीं मिला है। वो आज भी ऐसा महसूस करती है कि लोगों को व्यवहार में कुछ ज्यादा बदलाव नहीं आया है और न ही कानून व्यवस्था की स्थिति में।

निर्भया की मां आशा देवी ने कहा, 'मेरी बेटी की मौत के पांच साल बाद भी उसके दोषी जिंदा है। अगर न्याय वक्त पर न मिले, तो लोगों का कानून पर से भरोसा उठने लगता है और वे डर में जीने लगते हैं। एक मजबूत कानून बनाने की जरूरत है और चाहे वो राजनीतिज्ञ हो या आम आदमी हर किसी को अपनी मानसिकता को बदलने की जरूरत है।'

उन्होंने कहा हम अभी भी 2012 में खड़े है। आज भी हालात जस के तस बने हुए है महिला से जुड़े अपराध अब भी हो रहे हैं।

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इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि 'बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का वादा किया गया था। लेकिन उन सभी सीसीटीवी कैमरों का क्या हुआ? सभी वादें और बातें सिर्फ बातों और वादों तक ही सीमित रहे। हालांकि भारत में कई तरह के बड़े बदलाव हुए पर महिलाओं से जुड़े अपराध अब भी जारी है इन मुद्दों पर कोई कुछ नहीं बोलता है।'

उन्होंने कहा, 'न्याय के लिए हमने हर सरकार से अनुरोध किया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। मैंने कभी किसी से अपने पति या परिवार के सदस्य के लिए नौकरी नहीं मांगी है। हमने हमेशा सिर्फ इन्साफ के लिए गुहार लगाई है। यह मामला पिछले दो साल से सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है।'

आशा देवी ने ये भी कहा कि भारत में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कोई भी महिला की सुरक्षा की परवाह नहीं करता है। जमीनी स्तर अब भी कुछ नहीं बदला है। हमारे समाज, सिस्टम, पुलिस और अन्य अधिकारीयों की मानसिकता को बदला जाना चाहिए'

उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं की सुरक्षा प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

दक्षिणी दिल्ली में 16 और 17 दिसंबर 2012 की रात को पैरामेडिक की छात्रा के साथ चलती बस में गैंगरेप किया गया था। इसमें 6 लोग शामिल थे और पीड़िता के साथ निर्ममता बरती गई थी और उसे ठंड में निर्वस्त्र ही बस से बाहर फेंक दिया गया था।

पीड़िता का 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिज़ाबेथ हासेपिटल में मौत हो गई थी।

शीर्ष अदालत ने इस गैंगरेप और हत्या मामले में पांच मई को चार मुजरिमों. मुकेश 29 पवन 22 विनय शर्मा 23 और अक्षय कुमार सिंह 31 को फांसी की सजा को सही ठहराया। बता दें कि इस मामले में एक अन्य आरोपी रामसिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रुप से खुदकुशी कर ली थी। जबकि एक नाबालिग आरोपी तीन साल तक सुधार गृह में रहकर बाहर निकल गया।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा 2016-17 के जारी आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में अपराध की उच्चतम दर 160.4 फीसदी रही, जबकि इस दौरान अपराध की राष्ट्रीय औसत दर 55.2 फीसदी है। इस समीक्षाधीन अवधि में दिल्ली में दुष्कर्म (2,155 दुष्कर्म के मामले, 669 पीछा करने के मामले और 41 मामले घूरने) के लगभग 40 फीसदी मामले दर्ज हुए। 

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