बिहार की दुविधाः जहां उठनी थी डोली, वहां मौत का सन्नाटा लगा रहा कहकहा
हर तरफ सिसकियां ही सिसकियां हैं. कुछ घर तो ऐसे हैं, जहां शहनाई बजनी थी, लेकिन अब वहां मौत का सन्नाटा कहकहा लगा रही है.
highlights
- इस गांवों का चेहरा किसी को भी रुला देगा.
- बजनी थी शहनाई घर से उठी अर्थियां.
- चमकी बुखार से मासूमों की मौत की दास्तां.
नई दिल्ली.:
बिहार में सैकड़ों बच्चों की मौत से पूरे देश में चिंता और आक्रोश का महौल है. सरकार लगातार दावे कर रही है कि उसने अस्पतालों में व्यवस्थाओं की झड़ी लगा दी है. यह अलग बात है कि तमाम गांवों में मरघट जैसा सन्नाटा है. वैशाली जिले की एक बस्ती हरिवंशपुर में 17 बच्चे मारे जा चुके हैं. यही हाल सहथी गांव का है. इन गावों का आलम किसी भी संवेदनशील शख्स को सिहरा देगा. हर तरफ सिसकियां ही सिसकियां हैं. कुछ घर तो ऐसे हैं, जहां शहनाई बजनी थी, लेकिन अब वहां मौत का सन्नाटा कहकहा लगा रही है.
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समाज के हाशिये पर रह रहे लोगों पर टूटा कहर
हरिवंशपुर और सहथा तो उन बस्तियों या गांव के चंद नाम भर है जहां समाज के हाशिये पर रह रहे लोग निवास करते हैं. गांव से चंद कदम की दूरियों पर ही हाल ही में दो अर्थियां उठी हैं. कुएं के साथ-साथ लोगों की आंखों का पानी भी सूख गया है. उस पर बच्चों की मौत से एक अजीब सी दहशत और तारी है. इस दहशत को तोड़ने का काम करती हैं सिसकियां. पूछने पर पता चलता है कि उस घर के लोगों ने 8 साल की बिंदी को हाल ही में खोया है. उनके लिए यह स्थिति दोराहे वाली है.
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जहां से डोली उठनी थी, वहां उठी अर्थी
दोराहा इसलिए क्योंकि इसी घर में मौत के दिन जिंदगी अठखेलियां करने वाली थी. आसपास के ग्रामीण फुसफुसाहट में बताते हैं कि जिस दिन बिंदी की मौत हुई, उसी दिन बिंदी की बड़ी बहन की बारात आनी थी. घर में चारों तरफ खुशियों की माहौल था. बिंदी की पिता बिघन मांझी ने लाडली की शादी के लिए दो लाख रुपए का कर्ज लिया था. इन पैसों से हरसंभव खुशियां घर में मांझी ने जुटाई थीं. अचानक बिंदी को तेज कंपकंपाहट हुई और बदन तपने लगा. घर वाले उसे लेकर अस्पताल भागे, लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही बिंदी ने गोद में दम तोड़ दिया. नतीजतन पल भर में खुशियां मातम में बदल गईं और बारात वापस लौट गई.
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हर तरफ मौच का सन्नाटा
इस घर से चंद कदम दूर एक और घर के आंगन में मंडप गड़ा था, लेकिन खुशियां नदारत थी और मौत का सर्द सन्नाटा पसरा हुआ था. पता चला कि इस घर में भी एक शादी थी. बिंदी की मौत के अगले दिन यहां भी संध्या की शादी थी, लेकिन 10 साल के धीरज ने भी दम तोड़ दिया. अब एक मां बैठे-बैठे आंसू बहा रही है. एक तरफ उसे अपने बेटे को खोने का दुख है, तो दूसरी तरफ सूनी रह गई डोली का. उसे यही बात बात साल रही है कि जिस घर से डोली उठनी थी, वहां से उसके लाडले की अर्थी उठी.
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