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पंचतत्‍व में विलीन अटल बेटियों के लिए दे गए बड़ा संदेश, कुरीतियों पर किया कड़ा प्रहार

अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी बेटी नमिता ने मुखाग्नि दी।

Updated on: 17 Aug 2018, 07:34 PM

नई दिल्ली:

हिंदू परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार के दौरान मुखाग्नि देने का अधिकार लड़कों का होता है। शास्त्र के अनुसार किसी भी स्त्री को मुखाग्नि देने का न तो अधिकार है और न ही श्मशान भूमि में जाने की इजाजत है। सदियों से चली आ रही यह परंपरा आज स्मृति स्थल पर एक बार टूट गई, जब अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी बेटी नमिता ने मुखाग्नि दी।

नमिता ने तमाम रूढ़िवादी परंपरा को तोड़ते हुए पिता का अंतिम संस्कार किया। बता दें कि नमिता को अटल बिहारी वाजपेयी ने गोद लिया था। कॉलेज के जमाने की दोस्‍त राजकुमारी कौल की बेटी नमिता को अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी संतान के रूप में अपनाया था।

नमिता को अटल बेहद प्यार करते थे। आखिरी वक्त तक नमिता उनके साथ रहीं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें कभी अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि उनका अंतिम संस्कार उनकी बेटी नमिता ही करेंगी। 

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सवाल है कि अंतिम संस्कार से महिलाओं को क्यों दूर रखा गया। क्या हमारे शास्त्र में इस बात का जिक्र है या फिर बाद में इसे जोड़ दिया गया? प्राचीन वैदिक ग्रंथ गरूड़ पुराण में बेटे या पुरूष सदस्य के अभाव में कौन सदस्य अंतिम संस्कार करेगा इस बात का जिक्र है।

पुत्राभावे वधु कूर्यात..भार्याभावे च सोदन!
शिष्यो वा ब्राहमण: सपिण्डो वा समाचरेत!!
ज्येष्ठस्य वा कनिष्ठस्य भ्रातृ:पुत्रश्च: पौत्रके!
श्राध्यामात्रदिकम कार्य पुत्रहीनेत खग:!

यानी बड़े बेटे या छोटे बेटे के अभाव में बहू,पत्नी को श्राद्ध करने का अधिकार है। इसमें बेटी भी शामिल है।

मतलब साफ है कि शास्त्रों में महिलाओं को दाह-संस्कार में शामिल होने पर रोक नहीं लगाई गई है, बल्कि यह जोड़ी गई परंपरा है। अनंत यात्रा पर निकलने से पहले भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी बेटी से मुखाग्नि लेकर समाज को संदेश दिया है कि वो बेटों और बेटियों में सिर्फ इसलिए फर्क न करें कि उनकी मौत पर उन्हें मुखाग्नि कौन देगा।

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