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देशव्यापी दलित आंदोलन से UP, MP और पंजाब में बिगड़े हालात, CRPF और RAF की टुकड़ियां रवाना

एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देशव्यापी दलित आंदोलन में हुई हिंसा के बाद बिगड़ते हालात को देखकर केंद्र सरकार हरकत में आ गई है।

Updated on: 03 Apr 2018, 08:46 AM

highlights

  • दलित आंदोलन में हुई हिंसा से देश में बिगड़े हालात
  • पंजाब, एमपी और यूपी ने केंद्र से मांगी केंद्रीय बलों की टुकड़ियां

नई दिल्ली:

एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देशव्यापी दलित आंदोलन में हुई हिंसा के बाद बिगड़ते हालात को देखकर केंद्र सरकार हरकत में आ गई है।

तेजी से हिंसा के बढ़ते दायरे को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों से कानून-व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाने का निर्देश दिया है।

मंत्रालय ने कहा कि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पंजाब ने केंद्रीय बलों की मांग की है और उन्हें तत्काल ही सीआरपीएफ और आरएएफ की टुकड़ी भेज दी गई है।

मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'गृह मंत्रालय पूरे मामले पर करीब से निगाह जमाए हुए है और लगातार राज्यों के संपर्क में है। इसके साथ ही उनकी मदद के लिए केंद्रीय बलों को उपलब्ध कराया गया है।'

मंत्रालय ने कहा कि केंद्रीय बलों को तैयार रखा गया है और जैसे ही कोई राज्य इनकी मांग करते हैं, उन्हें तत्काल मदद दी जाएगी।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बुलाए गए भारत बंद के दौरान हुई हिंसा में अब तक 9 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है।

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मध्य प्रदेश में जहां अब तक 6 लोग मारे गए हैं, वहीं राजस्थान में एक और उत्तर प्रदेश में दो व्यक्ति के मारे जाने की पुष्टि हुई है। पुलिस के मुताबिक उत्तर प्रदेश में करीब 450 से अधिक उपद्रवियों को हिरासत में लिया गया है।

इसके अलावा बिहार औऱ गुजरात में कई जगह झड़प की सूचना है।

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'लोगों की सुरक्षा और संपत्तियों को सुरक्षित किए जाने को लेकर राज्यों को सभी जरूरी कदम उठाए जाने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही राज्यों में कानून-व्यवस्था की स्थिति को दुरुस्त किए जाने का निर्देश दिया गया है।'

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए एससी/एसटी ऐक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था। इसके अलावा एससी/एसटी ऐक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दी थी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि इस कानून के तहत दर्ज मामलों में ऑटोमेटिक गिरफ्तारी की बजाय पुलिस को 7 दिन के भीतर जांच करनी चाहिए और फिर आगे ऐक्शन लेना चाहिए।

यही नहीं शीर्ष अदालत ने कहा था कि सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी अपॉइंटिंग अथॉरिटी की मंजूरी के बिना नहीं की जा सकती। गैर-सरकारी कर्मी की गिरफ्तारी के लिए एसएसपी की मंजूरी जरूरी होगी।

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