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आय से अधिक संपत्ति मामला: CBI ने वीरभद्र सिंह के खिलाफ दाखिल की चार्जशीट

आय से अधिक संपत्ति के मामले में CBI ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी और अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है।

Updated on: 31 Mar 2017, 07:34 PM

नई दिल्ली:

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आय से अधिक संपत्ति मामले में शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह तथा आठ अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। सीबीआई ने आरोप पत्र यहां विशेष न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार गोयल के समक्ष दाखिल किया, जिन्होंने मामले की सुनवाई के लिए शनिवार का दिन मुकर्रर किया, जिस दौरान जांच रिपोर्ट पर विचार किया जाएगा।

मामले में वीरभद्र सिंह के अलावा, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, जीवन बीमा निगम के एजेंट आनंद चौहान, उनके सहयोगी चुन्नी लाल, जोगिंदर सिंह घालटा, प्रेम राज, लावन कुमार रोच, वकामुल्लाह चंद्रशेखरा तथा राम प्रकाश भाटिया के खिलाफ भी आरोपपत्र दाखिल किया गया है।

सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत तथा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

अपनी रिपोर्ट में सीबीआई ने आरोपों के समर्थन में 220 गवाहों का हवाला दिया है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को वीरभद्र सिंह की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने भ्रष्टाचार के एक मामले में अपने और अपनी पत्नी के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का आग्रह किया था।

सीबीआई ने 23 सितम्बर, 2016 को भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत मुख्यमंत्री, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, जीवन बीमा निगम (एलआईसी) एजेंट आनंद चौहान और एक सहयोगी चुन्नीलाल के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

यह मामला प्राथमिक जांच के बाद दर्ज किया गया, जिसमें पाया गया था कि वीरभद्र सिंह ने 2009 से 2012 के बीच बतौर केंद्रीय मंत्री अपने कार्यकाल में 6.03 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्ति जमा की थी, जो उनकी ज्ञात आय से अधिक थी।

मुख्यमंत्री के वकील ने अपने तर्क में कहा था कि मुख्यमंत्री के आवास पर छापा मारने से पूर्व राज्य सरकार और गृह विभाग से अनुमति नहीं ली गई थी।

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक अक्टूबर, 2015 को एक अंतरिम आदेश में सीबीआई को अदालत की अनुमति के बिना वीरभद्र को गिरफ्तार करने, उनसे पूछताछ करने या उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने पर रोक लगा दी थी।

मामला बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय को स्थानांतरित कर दिया गया।

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