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तमिलनाडु: ओखी तूफान से प्रभावित 2604 मछुआरों को बचाया गया, बाकीं की तलाश जारी

तमिलनाडु सरकार ने सोमवार को कहा कि चक्रवात ओखी में फंसे 2,864 मछुआरों में से 2,604 को समुद्र से बचा लिया गया है और बाकी बचे 260 मछुआरों की तलाश जारी है।

Updated on: 04 Dec 2017, 10:51 PM

highlights

  • चक्रवात ओखी में फंसे 2,864 मछुआरों में से 2,604 को समुद्र से बचा लिया गया है
  • 30 नवंबर को दक्षिणी तमिलनाडु व केरल में ओखी तूफान के आने से बहुत लोग अब भी लापता हैं

कन्याकुमारी:

तमिलनाडु सरकार ने सोमवार को कहा कि चक्रवात ओखी में फंसे 2,864 मछुआरों में से 2,604 को समुद्र से बचा लिया गया है और बाकी बचे 260 मछुआरों की तलाश जारी है।

सरकार के मुताबिक, मछली पकड़ने के दौरान ओखी चक्रवात की वजह से लापता हुए कन्याकुमारी जिले के 294 मछुआरों में से 220 को बचा लिया गया है।

बयान में कहा गया है कि इसके अतिरिक्त राज्य के दूसरे इलाकों के 284 नौका में रवाना हुए 2570 मछुआरों में से 2,384 मछुआरों व उनकी 205 नौकाओं को बचाया गया है।

सरकार ने कहा कि बाकी मछुआरों व उनकी नौकाओं का पता लगाने के लिए खोज अभियान जारी है।

इस बीच, मछुआरा समुदाय की महिलाओं ने कन्याकुमारी जिले में विरोध-प्रदर्शन किया और चक्रवात ओखी के मद्देनजर गहरे समुद्री इलाकों में फंसे मछुआरों को बचाने के लिए अभियान तेज करने की मांग की।

सैकड़ों महिलाओं ने नीरोडी गांव में सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया। महिलाएं अपने परिजनों का पता लगाने की मांग कर रही थीं। चक्रवात ओखी के 30 नवंबर को दक्षिणी तमिलनाडु व केरल में आने से बहुत से लोग अभी भी लापता हैं।

कन्याकुमारी के मछुआरा समुदाय के अनुसार, चक्रवात ओखी जब केरल के दक्षिणी जिलों और तमिलनाडु में पहुंचा तो उससे पहले लगभग हजार मछुआरे समुद्र में जा चुके थे।

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इस बीच कन्याकुमारी जिले के कुछ मछुआरों ने कहा कि भारतीय तटरक्षक समुद्र के अंदर तट से सिर्फ 40 मील के दायरे में तलाशी अभियान चला रहे हैं और तट से 200 मील के दायरे में गहरे समुद्र में नहीं जा रहे हैं, जबकि इस क्षेत्र में बहुत से मछुआरे मछली पकड़ने जाते हैं।

कन्याकुमारी में तट पर लौटे एक मछुआरे ने कहा, 'सिर्फ ईश्वर ने मेरे जीवन की रक्षा की है। हमें चक्रवात ओखी ने समुद्र में फेंक दिया था।' उसने कहा कि जब वह समुद्र में था तो उसने कई शवों को तैरते हुए देखा था।

रक्षा अधिकारियों के अनुसार, तटरक्षक 100 से 150 समुद्री मील की दूरी के भीतर तलाशी अभियान चला रहे हैं और हालात के अनुसार वे इसके आगे जाकर अभियान चला सकते हैं।

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