सुकमा अटैक: सीआरपीएफ जवान खा रहे थे खाना, नक्सलियों ने किया घात लगाकर हमला
बस्तर में सुकमा के बुरकापाल के पास सड़क सुरक्षा में लगे सीआरपीएफ जवानों पर सोमवार दोपहर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला कर दिया। अंधाधुंध फायरिंग, रॉकेट लॉन्चर और हैंड ग्रेनेड के हमले में गश्त के बाद भोजन कर रहे सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन के 25 जवान शहीद हो गए, जबकि 6 घायल हैं।
highlights
- सीआरपीएफ जवानों पर सोमवार दोपहर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला कर दिया
- 25 जवान शहीद, 6 घायल
- साढ़े तीन सौ के आस पास थे नक्सली, बड़ी संख्या में थीं महिलाएं
नई दिल्ली:
बस्तर में सुकमा के बुरकापाल के पास सड़क सुरक्षा में लगे सीआरपीएफ जवानों पर सोमवार दोपहर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला कर दिया। अंधाधुंध फायरिंग, रॉकेट लॉन्चर और हैंड ग्रेनेड के हमले में गश्त के बाद भोजन कर रहे सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन के 25 जवान शहीद हो गए, जबकि 6 घायल हैं।
माओवादियों की टीम ने स्थानीय लोगों की सहायता से सैनिकों की आवाजाही पर नज़र रखे हुये थे। बटालियन की पहली टुकड़ी जिसमें 36 जवान गश्त पर थे, दोपहर के खाने के लिए जैसे बैठे नक्सलियों ने घात लगाकर हमला कर दिया। अभी 8 जवान लापता हैं, इसलिए शहीदों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
एडीजी आरके विज ने इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि डेढ़ महीने पहले भी सुकमा में ही 12 जवान शहीद हुए थे। घायलों को हेलिकॉप्टर से रायपुर लाया गया है। आईजी विवेकानंद बुरकापाल पहुंच गए हैं। 25 जवानों के शवों को निकाल हेलिकॉप्टर से रायपुर रवाना किया गया है।
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मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने कहा, 'शव लेकर लौटते जवानों के लिए भी नक्सलियों ने एंबुश लगाया था। फायरिंग की, मगर जवान सतर्क थे।'
दोरनापाल से जगरगुंडा के बीच 56 किमी रोड बन रहा है। बुरकापाल कैंप में तैनात सीआरपीएफ की 74 वीं बटालियन के करीब 150 जवान रोड ओपनिंग के लिए तैनात थे।
सुबह 6 बजे से पैदल गश्त पर निकले जवान दोपहर 12.55 बजे सड़क से कुछ मीटर अंदर जंगल में बैठकर लंच कर रहे थे। कुछ खा चुके थे और कुछ सुरक्षा में तैनात थे, तभी बगल की काली पहाड़ी से नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी। नक्सलियों ने रॉकेट लॉन्चर भी दागे।
जब तक जवान संभल पाते, उनमें से कई को गोली लग चुकी थी। मौके पर मौजूद पुलिस के एक अफसर ने बताया कि नक्सली ऊंचाई पर थे, जबकि गश्त पर निकली पार्टी नीचे फंस गई थी। जवानों ने मोर्चा संभाला, लेकिन इससे पहले ही कई शहीद हो चुके थे।
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मौके पर करीब 2 घंटे फायरिंग होती रही। नक्सलियों ने शहीद जवानों के हथियार भी लूट लिए। इनमें 4 यूबीजीएल और कई एके 47 शामिल हैं। इस हमले में साढ़े तीन सौ के आस पास नक्सली थे, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं थीं।
जहां वारदात हुई, वहां से दोनों ओर चिंतागुफा और बुरकापाल कैंप हैं, लेकिन घटना की सूचना काफी देर बाद अधिकारियों को मिली। जब तक मदद पहुंचती नक्सली भाग चुके थे।
जिस जगह यह घटना हुई, उसी के पास 2010 में 76 जवान शहीद हुए थे।
इस सड़क पर हर 5 किमी पर सीआरपीएफ कैंप हैं। दोरनापाल से आगे पोलमपल्ली, कांकेरलंका, तिमिलवाड़ा, चिंतागुफा, बुरकापाल और चिंतलनार में कैंप हैं।
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