ममता बोलीं, त्रिपुरा में बीजेपी को हराने के लिये सीपीएम से सहयोग कर सकती थी टीएमसी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भले ही वामपंथी दलों की धुर विरोधी हों लेकिन त्रिपुरा में उसकी स्थिति को लेकर चिंतित जरूर दिखीं। उन्होंने कहा कि बीजेपी के खिलाफ वो वामदलों का सहयोग कर सकती थीं।
नई दिल्ली:
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भले ही वामपंथी दलों की धुर विरोधी हों लेकिन त्रिपुरा में उसकी स्थिति को लेकर चिंतित जरूर दिखीं। उन्होंने कहा कि बीजेपी के खिलाफ वो वामदलों का सहयोग कर सकती थीं।
ममता बनर्जी ने कहा कि सत्ताधारी सीपीएम ने वहां पर गंभीरता नहीं दिखाई जिससे कि भगवा पार्टी को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि सीपीएम बीजेपी को त्रिपुरा में रोकने की बजाय पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का विरोध करने में ही लगी रही।
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस वामदलों की धुर विरोधी है और उन्होंने वामदलों के तीन दशक से भी ज्यादा का शासन खत्म किया था।
उन्होंने कहा, 'अगर उनकी तरफ से थोड़ी भी गंभीरता होती तो सीपीएम जो त्रिपुरा में सत्ता में है, उसे टीएमसी से सहयोग मिल सकता था। हालांकि हम वहां पर ताकतवर नहीं हैं।'
पश्चिम बंगाल आधिकारिक भाषा (द्वितीय संशोधन) बिल, 2018 पर चर्चा के दौरान वामदलों के भारी विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए ये बात कही। उन्होंने कहा कि वामदलों ने वहां पर बीजेपी के लिये जगह छोड़ी।
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ममता बनर्जी ने वामदलों पर आरोप लगाते हुए कहा कि वामदल कभी भी बीजेपी का विरोध करने को लेकर गंभीर नहीं रहे।
उन्होंने कहा कि सीपीएम में बीजेपी से लड़ने के लिये आत्मविश्वास और मनोबल की कमी दिखी। जिसके कारण बीजेपी को केंद्रीय नेतृत्व और प्रशासन क सहायता से वहां पर अपनी जगह बनाने में सहायता मिली।
उन्होंने कहा कि सीपीएम कैसे 'अपनी सुरक्षा करने में असफल' रही। उन्होंने कहा कि सीपीएम के 'अहंकार' ने उसे राजनीतिक रूप से खत्म कर दिया है।
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