बीते तीन सालों में गौ रक्षा के नाम पर मारे गए 44 लोग, 36 मुस्लिम शामिल: ह्यूमन राइट वॉच
ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि भारतीय सरकार को निगरानी समूहों द्वारा भीड़ हिंसा व तथा-कथित रूप से गौ संरक्षण के नाम पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने को रोकना चाहिए व मुकदमा करना चाहिए
नई दिल्ली:
ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि भारतीय सरकार को निगरानी समूहों द्वारा भीड़ हिंसा व तथा-कथित रूप से गौ संरक्षण के नाम पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने को रोकना चाहिए व मुकदमा करना चाहिए. 'वायलेंस काउ प्रोटेक्शन इन इंडिया : विजिलेंट ग्रुप्स एटैक माइनॉरिटीज' के 104 पृष्ठ की रिपोर्ट में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों द्वारा सांप्रदायिक बयानबाजी के बारे में बताया गया है. इस रिपोर्ट में भाजपा सदस्यों द्वारा गोमांस की खपत व मवेशी व्यापार से जुड़े लोगों के खिलाफ हिंसक निगरानी अभियान को प्रोत्साहन देने की बात है.
इस रिपोर्ट में कहा कि मई 2015 और दिसंबर 2018 के बीच कम से कम 44 लोग इस तरह के हमलों में मारे गए हैं. इसमें 36 मुस्लिम हैं.
इसमें यह भी कहा गया है कि पुलिस ने अक्सर हमलावरों के मुकदमे को रोक दिया, जबकि भाजपा के कई राजनेताओं ने सार्वजनिक तौर पर हमलों को उचित ठहराया.
ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा, "गौ रक्षा की अपील हिंदू वोटों को खींचने के लिए शुरू हुई, लेकिन यह भीड़ के लिए हिंसक हमले करने व अल्पसंख्यक समूह के सदस्यों की हत्या के लिए स्वतंत्र छूट में बदल गई."
इसमें कहा गया, "भारतीय प्रशासन को इन हमलों को सही ठहराने, पीड़ितों को दोष देना या अपराधियों को बचाना बंद करना चाहिए."
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