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नमाज़ पर रोक को लेकर मायावती ने योगी सरकार पर साधा निशाना, कहा- चुनाव से पहले क्यों की जा रही कार्रवाई?

यूपी में नोएडा के एक पार्क में पुलिस द्वारा नमाज पढ़ने से रोक लगाने वाले आदेश का मामला तूल पकड़ता हुआ नज़र आ रहा है.

Updated on: 26 Dec 2018, 05:12 PM

नई दिल्ली:

नोएडा में खुली जगह नमाज अदा पर लगाई गई प्रशासनिक रोक को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. यूपी में नोएडा के एक पार्क में पुलिस द्वारा नमाज पढ़ने से रोक लगाने वाले आदेश का मामला तूल पकड़ता हुआ नज़र आ रहा है. इस मामले में AIMIM, बहुजन समाज पार्टी समेत अन्य कई दलों ने पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध किया है. बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने नमाज़ को लेकर आये सरकारी फरमान पर सूबे की योगी सरकार की आलोचना की. उन्होंने सरकार के फरमान को एकतरफा कार्रवाई बताया. योगी सरकार पर हमला बोलते हुए मायावती ने कहा, 'सभी धर्मों के लोगों पर एक समान तौर पर और प्रदेश में हर जगह सख्ती से बिना किसी भेदभाव के क्यों नहीं लागू की जा रही है?'

उन्होंने पूछा कि यह कार्रवाई पहले ही क्यों नहीं की गयी और अब चुनाव से पहले इस प्रकार की कार्रवाई क्यों की जा रही है?

योगी सरकार पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा, 'साल 2013 फरवरी से जुमे की नमाज़ लगातार हो रही है तो अब चुनाव के समय उसपर पाबंदी लगाने का क्या मतलब है?इससे बीजेपी सरकार की नियत और नीति  दोनों पर ऊंगली उठना और धार्मिक भेदभाव का आरोप लगाना स्वाभाविक है. साथ ही यह अशांका भी प्रबल होती है कि चुनाव के समय में इस प्रकार के धार्मिक विवादों को पैदा करके बीजेपी की सरकार अपनी कमियों और विफलताओं पर से लोगों का ध्यान बांटना चाहती है.' 

इस मामले में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन औवेसी ने नोएडा पुलिस को घेरा. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, यूपी पुलिस कांवड़ियों पर फूल बरसाती है लेकिन हफ्ते में एक बार नमाज़ किये जाने पर शांति बाधित हो सकती है. मुसलामानों को बताया जा रहा है कि आप कुछ भी कर लो, गलती तो आपकी होगी.

यूपी पुलिस के इस फरमान पर हमला बोलते हुए ओवैसी ने लिखा, कहा, कानून के अनुसार कोई व्यक्ति, कर्मचारी अगर व्यक्तिगत तौर पर कुछ करता है तो इसके लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों को कैसे जिम्मेदार ठहराजा जा सकता है.

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नोएडा में पुलिस की ओर से सेक्टर 58 के अधिकतर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को उनके कर्मचारियों को खुली जगहों पर प्रार्थना करने से मना करने वाले आदेश से मंगलवार को विवाद उत्पन्न हो गया. नोटिस में स्पष्ट तौर पर चेतावनी दी गई है कि इस आदेश का उल्लंघन करने पर कंपनियां जिम्मेदार होगी.