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जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात को लेकर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के घर कांग्रेस की बैठक

कांग्रेस ने शनिवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आवास पर जम्मू एवं कश्मीर के मौजूदा हालात पर अपने नीति नियोजन समूह की पहली बैठक की। बैठक में गुलाम नबी आजाद और अंबिका सोनी सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए।

Updated on: 20 May 2017, 04:24 PM

highlights

  • कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आवास पर कश्मीर के मौजूदा हालात पर पहली बैठक की
  • पिछले साल हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी की मुठभेड़ में मौत के बाद से घाटी में हालात लगातार बदतर हुए हैं

New Delhi:

कांग्रेस ने शनिवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आवास पर जम्मू एवं कश्मीर के मौजूदा हालात पर अपने नीति नियोजन समूह की पहली बैठक की। बैठक में गुलाम नबी आजाद और अंबिका सोनी सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए।

पिछले साल हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी की मुठभेड़ में मौत के बाद से घाटी में हालात लगातार बदतर हुए हैं।

कश्मीर में खराब हुई स्थिति का अंदाजा श्रीनगर लोकसभा उपचुनाव में हुई हिंसा में 8 लोगों की मौत और 7.5 फीसदी मतदान से लगाया जा सकता है। कश्मीर में पिछले कुछ महीनों से पत्थरबाजी और लूटपाट की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हुई है।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कश्मीर घाटी में व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद मनमोहन सिंह के नेतृत्व में शुक्रवार को इस समूह का गठन किया था।
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया, जब जम्मू एवं कश्मीर के कांग्रेसी और नेशनल कांफ्रेस के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी।

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कांग्रेस जम्मू एवं कश्मीर की मौजूदा स्थिति को न संभाल पाने के लिए मोदी सरकार और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और भाजपा गठबंधन सरकार की आलोचना करती रही है।

श्रीनगर के कुछ हिस्सों में लगा प्रतिबंध

इस बीच कश्मीर घाटी में दो वरिष्ठ नेताओं की याद में अलगालवादियों द्वारा 'हफ्ता -ए-शहादत' मनाए जाने के मद्देनजर और किसी प्रकार की हिंसा भड़कने से रोकने के लिए अधिकारियों ने पुराने श्रीनगर के कुछ हिस्सों में प्रतिबंध लगा दिया है।

अधिकारियों ने बताया कि तीन पुलिस थानों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों एम.आर.गंज, नौहट्टा और सफा कदाल में लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

अलगाववादी नेताओं -मीरवाइज मौलाना मुहम्मद फारुख और अब्दुल गनी लोन- की पुण्यतिथि के मौके पर अलगाववादी 'हफ्ता-ए-शहादत' मना रहे हैं।

एक अज्ञात बंदूकधारी ने 21 मई, 1990 को मीरवाइज की हत्या कर दी थी, जबकि 21 मई, 2002 को मीरवाइज की याद में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान लोन की श्रीनगर के ईदगाह मैदान में हत्या कर दी गई थी।

अलगाववादियों ने हुर्रियत समूह के नरमरपंथी धड़े के अध्यक्ष और दिवंगत मीरवाइज के बेटे मीरवाइज उमर फारुख के नेतृत्व में एक रैली आयोजित करने की घोषणा की है।

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