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कुलभूषण जाधव फांसी मामले पर लोकसभा में कांग्रेस ने कहा- अगर नहीं बचा पाये तो मोदी सरकार की कमजोरी होगी

भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में फांसी की सजा सुनाए जाने का मसला मंगलवार को लोकसभा में गूंजा।

Updated on: 11 Apr 2017, 12:53 PM

highlights

  • कुलभूषण जाधव पर पाकिस्तान की कार्रवाई की राजनाथ सिंह ने लोकसभा में की निंदा
  • राजनाथ ने कहा, कुलभूषण जाधव के पास भारत का वैध पासपोर्ट है
  • कांग्रेस बोले, अगर हम जाधव को बचा नहीं पाये तो ये सरकार की कमजोरी होगी

नई दिल्ली:

भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में फांसी की सजा सुनाए जाने का मसला मंगलवार को लोकसभा में गूंजा। सभी दलों ने एक सुर में पाकिस्तान के कदम की निंदा की और कार्रवाई को गलत बताया।

लोकसभा में नेता कांग्रेस मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'अगर उसे (जाधव) फांसी होती है तो सोचा समझा मर्डर हम उसे कहेंगे।' उन्होंने कहा कि अगर हम उसे बचा नहीं पाये तो ये सरकार की कमजोरी होगी।

वहीं लोकसभा में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कुलभूषण जाधव के मसले पर बयान दिया। उन्होंने कहा, 'कुलभूषण जाधव को सुनाई गई फांसी की सजा की भारत सरकार कड़ी शब्दों में निंदा करती है।' उन्होंने कहा कि कुलभूषण जाधव के पास भारत का वैध पासपोर्ट है।

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि पूरा सदन कुलभूषण जाधव के साथ है, गृहमंत्री इस मसले पर जवाब देंगे।

AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि पाकिस्तान की सैन्य अदालत एक 'बनाना' अदालत है, जहां किसी नियम का पालन नहीं किया जाता। उन्होंने कहा कि भारत को हर वो कदम उठाना चाहिये जिससे की जाधव को वापस भारत लाया जा सके।

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पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने सोमवार को कहा कि फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल ने जाधव को मौत की सजा सुनाई। सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने इसकी पुष्टि की।

वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कुलभूषण जाधव को 'कानून एवं न्याय के मूलभूत नियमों का पालन किए बगैर' फांसी की सजा सुनाई गई है और यदि जाधव को फांसी दे दी गई तो इसे 'पूर्वनियोजित हत्या' माना जाएगा।

आईएसपीआर ने कहा, 'उन्होंने (जाधव) एक दंडाधिकारी के समक्ष अपना जुर्म कबूल करते हुए कहा था कि पाकिस्तान को अस्थिर करने तथा उसके खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए रॉ ने उन्हें जासूसी करने तथा विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने का काम सौंपा था, ताकि बलूचिस्तान तथा कराची में शांति बहाल करने की प्रशासन की कोशिशों को बाधित किया जा सके।'

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