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राष्ट्रपति कोविंद के पहले स्पीच से कांग्रेस नाराज, कहा- नेहरू का नाम नहीं लेना दुखद

आजाद ने आगे कहा कि ये कही न कही दिल को चुभने वाली बात है। पंडित जवाहर लाल नेहरु सिर्फ भारत के नहीं, बल्कि दुनिया के नेता थे। अपने नाम के जरिये उन्होंने पूरी दुनिया को नेतृत्व दिया। ये काफी निराशाजनक है।

Updated on: 25 Jul 2017, 06:29 PM

highlights

  • रामनाथ कोविंद ने देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में लिया शपथ
  • गुलाम ने कहा, भाषण में नेहरू का नाम न लेना बहुत ही दुखद
  • रविशंकर प्रसाद ने दिया जवाब, हर बात पर राजनीति नहीं हो सकती

नई दिल्ली:

मंगलवार को देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद रामनाथ कोविंद ने पहला भाषण दिया। संसद के सेंट्रल हॉल में रामनाथ कोविंद ने अपने भाषण में संविधान की रक्षा और पालन करने का वचन दिया। उन्होंने साथ ही न्याय, स्वंतत्रता और समानता के मूल्यों के पालन करने का भी वचन दिया।

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के बाद कहा, 'नए राष्ट्रपति को बधाई। अब वो एक पार्टी के नहीं, बल्कि पूरे देश के राष्ट्रपति है। हमे उम्मीद है कि वो देश के हित का ख्याल रखेंगे। लेकिन अफसोस है कि देश को दिए पहले भाषण में उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री जो स्वतन्त्रता सेनानी भी रहे, आगे उनकी बेटी और नाती भी प्रधानमंत्री रहे, जिन्होंने देश के लिये बलिदान दिया, वे उनका नाम लेना भूल गए।'

आजाद ने आगे कहा कि ये कही न कही दिल को चुभने वाली बात है। पंडित जवाहर लाल नेहरु सिर्फ भारत के नहीं, बल्कि दुनिया के नेता थे। अपने नाम के जरिये उन्होंने पूरी दुनिया को नेतृत्व दिया। ये काफी निराशाजनक है।

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आपको बता दें कि राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद रामनाथ कोविंद ने आज अपना पहला भाषण दिया। राष्ट्रपति ने कहा, मैं इस महान राष्ट्र के 125 करोड़ नागरिकों को नमन करता हूं, और उन्होंने मुझ पर जो विश्वास जताया है, उस पर खड़ा उतरने का मैं वचन देता हूं। मुझे इस बात का पूरा एहसास है कि मैं डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद, डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और मेरे पूर्ववर्ती श्री प्रणब मुखर्जी, जिन्हें हम स्नेह से 'प्रणब दा' कहते हैं, जैसी विभूतियों के पद चिन्हों पर चलने जा रहा हूं।

हमारी स्वतंत्रता, महात्मा गांधी के नेतृत्व में हजारों स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयासों का परिणाम थी। बाद में, सरदार पटेल ने हमारे देश का एकीकरण किया। हमारे संविधान के प्रमुख शिल्पी, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने हम सभी में मानवीय गरिमा और गणतांत्रिक मूल्यों का संचार किया।

वहीं केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुलाम नबी आजाद की बातों का जवाब देते हुए कहा कि, ये देश के लिए सौभाग्य की बात है कि कोविन्द जी राष्ट्रपति हैं। उनका भाषण सार्वभौमिक था। हर भाषण में नेहरू जी के नाम का दबाव देकर उन्हें छोटा करने की कोशिश की गई। आखिर सरदार पटेल को कांग्रेस पार्टी ने छोटा क्यों किया? अगर नरसिम्हा राव ने भारत रत्न न दिया होता तो सरदार साहब को ये सम्मान अटल जी को देना होता।

आज के दिन भारत के राष्ट्रपति ने अगर दीन दयाल उपाध्याय जी का नाम लिया तो यह गर्व की बात है, उनकी विचारधारा को सम्मान देने की बात है। हर बात पर राजनीति नहीं हो सकती।

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