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कोयला घोटाला: झारखंड के पूर्व CM मधु कोड़ा की सजा और जुर्माने पर दिल्ली HC लगाई रोक

कोयला घोटाला मामले में तीन साल जेल की सजा काट रहे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है।

Updated on: 02 Jan 2018, 02:56 PM

highlights

  • कोयला घोटाला मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत
  • दिल्ली हाईकोर्ट ने सजा और जुर्माने दोनों पर अगली सुनवाई तक के लिए लगाई रोक
  • 16 दिसंबर को सीबीआई की अदालत ने मधु कोड़ा को तीन साल कारावास की सजा सुनाई थी

नई दिल्ली:

कोयला घोटाला मामले में तीन साल जेल की सजा काट रहे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है।

अदालत ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए कोड़ा की सजा और जुर्माने दोनों पर अगली सुनवाई तक के लिए रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने मधु कोड़ा की याचिका पर सीबीआई से जवाब मांगा है। अब इस मामले में 22 जनवरी को सुनवाई होगी।

गौरतलब है कि पिछले साल 16 दिसंबर को सीबीआई की विशेष अदालत ने मधु कोड़ा को तीन साल कारावास की सजा सुनाई थी।

कोड़ा के साथ उनके करीबी सहयोगी विजय जोशी, पूर्व कोयला सचिव एच. सी. गुप्ता, झारखंड के तत्कालीन मुख्य सचिव एके बसु को भी तीन-तीन साल कारावास की सजा सुनाई गई थी।

सीबीआई अदालत ने कोड़ा और जोशी पर 25-25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। सीबीआई कोर्ट के फैसले को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

इस मामले में हुई थी सजा

अदालत ने 13 दिसंबर को कोड़ा, जोशी, गुप्ता, बसु और निजी कंपनी विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड (वीआईएसयूएल) को भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम के तहत आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के मामले में दोषी करार दिया था।

अदालत ने वीआईएसयूएल पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत का यह फैसला झारखंड के राजहरा उत्तर कोयला ब्लॉक को वीआईएसयूएल को आवंटित करने से संबंधित है।

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सीबीआई ने कोड़ा और अन्य पर वीआईएसयूएल को कोयला ब्लॉक आवंटित करने के लिए साजिश रचने का आरोप लगाया था।

सीबीआई ने दावा किया कि वीआईएसयूएल ने राजहरा उत्तर कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए आठ जनवरी, 2007 को आवेदन किया था, हालांकि झारखंड सरकार और इस्पात मंत्रालय ने इस मामले की सिफारिश नहीं की, मगर एक अनुवीक्षण समिति ने कंपनी को कोयला ब्लॉक आवंटित कर दिया।

एजेंसी ने कहा कि गुप्ता उस समय संबंधित समिति के अध्यक्ष थे, और उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से तथ्यों को छुपाया, जिनके पास उस समय कोयला मंत्रालय का भी प्रभार था। झारखंड ने कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए वीआईएसयूएल की सिफारिश नहीं की थी।

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