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महाभियोग: कार्रवाई होने तक न्यायिक कार्यों से दूर रहे जस्टिस मिश्रा, बीजेपी कर रही है बचाव- कांग्रेस

कांग्रेस ने आज कहा कि जस्टिस दीपक मिश्रा को अपने ऊपर लगे आरोपों पर स्थिति साफ हो जाने तक न्यायिक कामों से खुद को दूर करने पर विचार करना चाहिए।

Updated on: 22 Apr 2018, 11:15 PM

highlights

  • कांग्रेस ने कहा- महाभियोग पर फैसला आने तक सीजेआई दीपक मिश्रा को रहना चाहिए न्यायिक कार्य से दूर
  •  सुरजेवाला ने कहा कि सत्ता पक्ष प्रधान न्यायाधीश की स्थिति व पद के साथ समझौता कर रहा है

नई दिल्ली:

कांग्रेस ने रविवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) का बचाव करने का आरोप लगाया और कहा कि प्रधान न्यायाधीश को उनके ऊपर लगे कदाचार के आरोप पर फैसला आने तक खुद न्यायिक व प्रशासनिक कार्य से अलग रहना चाहिए।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक प्रेसवार्ता में कहा, 'अगर उनके (सीजेआई) खुद का व्यवहार विवादों के घेरे में है तो उनको स्वयं न्यायिक व प्रशासनिक कार्य से अलग हो जाना चाहिए और जांच के लिए प्रस्तुत हो जाना चाहिए ताकि शीर्ष पद और उनकी व्यक्तिगत निष्ठा स्पष्ट हो और समुचित तरीके से कानून की प्रक्रिया का अनुपालन हो।'

उन्होंने कहा, 'देश की न्यायालिका के शीर्ष पद पर आसीन अधिकारी जिनसे लोग इंसाफ की अपेक्षा करते हैं वह संदेह से परे हों। इसलिए हमने इसका फैसला उनके विवेक पर छोड़ दिया है।'

सुरजेवाला ने कहा, 'इससे कानून की प्रक्रिया का समुचित तरीके से अनुपालन सुनिश्चित होगा।'

एक अभूतपूर्व कदम के तहत कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष में शामिल सात दलों के 64 राज्यसभा सदस्यों ने शुक्रवार को प्रधान न्यायाधीश को कदाचार के पांच आरोपों के अधार पर हटाने के लिए उनपर महाभियोग चलाने का प्रस्ताव सौंपा। 

सुरजेवाला का यह बयान सीजेआई के सर्वोच्च न्यायालय के प्रशासनिक व न्यायिक कार्य से खुद को अलग नहीं करने का फैसला लिए जाने के संबंध में मीडिया रिपोर्ट के आद आया है।

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बीजेपी पर निशाना साधते हुए सुरजेवाला ने कहा कि सत्ता पक्ष प्रधान न्यायाधीश की स्थिति व पद के साथ समझौता कर रहा है। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी पार्टी भारतीय न्यायिक प्रणाली की स्वतंत्रता को भारी नुकसान पहुंचा रही है। 

कांग्रेस के विधिक विभाग के अध्यक्ष विवेक तन्खा ने कहा, 'वह भारत के प्रधान न्यायाधीश हैं। उनको स्वेच्छा से किसी भी जांच के लिए प्रस्तुत होना चाहिए। उनको दोबारा जनता का विश्वास प्राप्त करना चाहिए। तब तक के लिए उनका सोचना चाहिए कि क्या उनको न्यायाधीश के तौर पर कार्य करना चाहिए या नहीं।'

कांग्रेस के एक अन्य नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता के. टी. एस. तुलसी ने कहा कि सीजेआई के खिलाफ आरोप इतने गंभीर हैं कि जांच का आदेश शीघ्र देना चाहिए। 

उन्होंने कहा, 'जांच से भारत के प्रधान न्यायाधीश पद की गरिमा की रक्षा हो पाएगी। अगर जांच नहीं होगी तो इससे सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा को गंभीर क्षति पहुंचेगी।'

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