नाथू-ला दर्रे की सीतारमण की यात्रा के बाद चीन ने कहा-'सीमा को लेकर ऐतिहासिक सच्चाई से मुंह न मोड़े भारत'
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के पहली बार नाथू-ला दर्रे का दौरा किए जाने के बाद चीन ने दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर भारत से ऐतिहासिक समझौते का सम्मान किए जाने की अपील की है।
highlights
- चीन ने दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर भारत से ऐतिहासिक समझौते का सम्मान किए जाने की अपील की है
- बीजिंग ने कहा चीन-भारत की सीमा का सिक्किम वाला भूभाग ऐतिहासिक रूप से सीमा के तौर पर चिह्नित है
नई दिल्ली:
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के पहली बार नाथू-ला दर्रे का दौरा किए जाने के बाद चीन ने दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर भारत से 'ऐतिहासिक समझौते' और 'तथ्यों' का सम्मान किए जाने की अपील की है।
1890 की ब्रिटेन-चीन समझौते का जिक्र करते हुए चीन ने दावा किया, 'चीन-भारत की सीमा का सिक्किम वाला भूभाग ऐतिहासिक रूप से सीमा के तौर पर चिह्नित है।'
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, 'यह सच पर मुहर है। हम भारतीय पक्ष से तथ्यों का सम्मान करने की अपील करते हैं। साथ ही ऐतिहासिक सीमा समझौते के प्रावधानों का पालन करने की अपील करते हैं। सीमाई इलाकों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए हम साथ मिलकर काम करने की अपील करते हैं।'
मंत्रालय ने हालांकि सीधे तौर पर 1890 की ब्रिटेन चीन संधि का जिक्र नहीं किया, जिसका वह अक्सर डोकलाम विवाद के दौरान इस्तेमाल करते रहे हैं। चीन का कहना रहा है कि सिक्किम के हिस्से वाला तिब्बत के साथ लगी सीमा से सटा है, इसलिए इस इलाके पर कोई विवाद नहीं है।
भारतीय वायु सेना युद्ध के लिए हर समय तैयार: वायुसेना प्रमुख
सीतारमण ने शनिवार को नाथू-ला दर्रे का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने सेना और आईटीबीपी के जवानों के साथ बातचीत की थी। नाथू-ला दर्रा सिक्किम की तरफ से भारत और चीन की तरफ से तिब्बत के बीच की विभाजन रेखा है।
डोकलाम विवाद का समाधान होने के बाद भारत-चीन सीमा पर रक्षा मंत्री यह पहली यात्रा थी।
गौरतलब है कि सिक्किम सेक्टर के डोकलाम में दोनों देशों की सेना करीब 73 दिनों तक आमने-सामने थीं। चीन ने इससे पहले कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए नाथू-ला दर्रे को खोल रखा था लेकिन डोकलाम विवाद के बाद उसने इसे बंद कर दिया था।