बाल दिवस : नेहरू के जन्मदिन पर क्यों मनाया जाता है यह दिन, जानिए इसका इतिहास
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 20 नवंबर को मनाया जाने वाला बाल दिवस भारत में नेहरू के जन्मदिवस पर मनाया जाने लगा, इसके पीछे नेहरू का बच्चों के बीच का इतिहास है.
नई दिल्ली:
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आज 129वीं जयंती है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 20 नवंबर को मनाया जाने वाला बाल दिवस भारत में नेहरू के जन्मदिवस पर मनाया जाने लगा, इसके पीछे नेहरू का बच्चों के बीच का इतिहास है. बच्चों के बीच खासा लोकप्रिय माने जाने वाले नेहरू की याद में इस दिन को भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. 14 नंवबर 1889 को इलाहाबाद में जन्मे नेहरू ने राजनीतिक विरासत खड़ी करने के साथ आम लोगों के बीच अपनी अलग छवि बनाई थी. वे हमेशा बच्चों को भविष्य का धरोहर बताते हुए उनके अच्छी परवरिश की पैरवी करते थे. बच्चों ने भी उन्हें चाचा नेहरू का संबोधन देकर सम्मान दिया.
अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस की शुरुआत 20 नवंबर 1954 को हुई जिसमें संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया भर के बच्चों के कल्याण को सुधारने, बच्चों के बीच जानकारियां और अतंरराष्ट्रीय एकजुटता को बढ़ाने का लक्ष्य रखा था.
बाल दिवस मनाये जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1959 में 20 नवंबर को ही एक और अहम फैसला लेते हुए बच्चों के अधिकारों की घोषणा को स्वीकार किया.
भारत में भी 1964 से पहले 20 नवंबर को ही बाल दिवस मनाया जाता था. लेकिन 1964 में जवाहरलाल नेहरू की मौत के बाद बच्चों के प्रति आम सहमति से उनके जन्मदिन यानी 14 नवंबर को बाल दिवस मनाने का फैसला किया गया.
नेहरू ने एक बार कहा था, 'आज के बच्चे कल के भारत का निर्माण करेंगे. हम जिस तरह से बच्चों की परवरिश करते हैं उससे भारत का भविष्य तय होता है.' नेहरू ने बच्चों के लिए अनेक शिक्षण सामग्री भी लिखी जिसमें उन्होंने बच्चों के व्यावहारिक शिक्षा दिये जाने पर जोर दिया था.
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1950 से कई देशों में बाल संरक्षण दिवस (1 जून) पर ही बाल दिवस मनाया जाने लगा। यह दिन बच्चों के बेहतर भविष्य और उनकी मूल जरूरतों को पूरा करने की याद दिलाता है। अन्य देशों में अलग-अलग दिन भी इसे मनाया जाता है, लेकिन अधिकतर देशों में 20 नवंबर को ही बाल दिवस मनाया जाता है.
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