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सीबीआई ने बोफोर्स की फिर से जांच के लिए ट्रायल कोर्ट से इजाजत मांगने वाली अर्जी को लिया वापस

न्यायालय ने कहा कि अनुमति अनिवार्य नहीं है और इस संबंध में न्यायालय को सूचित करना पर्याप्त होगा

Updated on: 16 May 2019, 07:01 PM

highlights

  • बोफोर्स की फिर से होगी जांच
  • सीबीआई ने ट्रायल कोर्ट से मांगी अनुमति
  • राजीव गांधी के शासनकाल में हुआ था घोटाला

नई दिल्ली:

सीबीआई ने बोफोर्स की फिर से जांच की इजाजत वाली अर्जी को आज ट्रायल कोर्ट से वापिस ले लिया है. इससे पहले सीबीआई ने कुछ नए तथ्य और बयान सामने आने के बाद ट्रायल कोर्ट में अर्ज़ी दायर कर फिर से जांच की इजाजत मांगी थी. 8 मई को चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने टिप्पणी की थी कि सीबीआई के पास जांच के लिए स्वतंत्र अधिकार और शक्ति है. कोर्ट से इजाजत मांगने की जरूरत नहीं है. कानूनी राय लेने के बाद सीबीआई ने इजाजत की मांग वाली अर्जी को वापस ले लिया.

जानें, क्या है बोफोर्स

1987 में स्वीडन की रेडियो ने खुलासा करते हुए बताया था कि स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स ने भारतीय सेना को तोप की सप्लाई करने का सौदा हासिल करने के लिये 80 लाख डालर की दलाली चुकायी थी. बता दें कि उस समय राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी. बता दें कि उस समय 1.3 अरब डालर में कुल चार सौ बोफोर्स तोपों की खरीद का सौदा हुआ था. आरोप था कि गांधी परिवार के नजदीकी बताये जाने वाले इतालवी व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोक्की ने डील करवाने में बिचौलिये की भूमिका अदा की थी और इसके एवज में बड़ा हिस्सा भी लिया था. बताया जाता है कि कथित तौर पर स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स ने भारत के साथ सौदे के लिए 1.42 करोड़ डालर की रिश्वत बांटी थी.

सीबीआई को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाना होगा

इसी मुद्दे को लेकर 1989 में राजीव गांधी की सरकार चली गयी थी और विश्वनाथ प्रताप सिंह राजनीति के नए नायक के तौर पर उभर कर सामने आए. हालांकि विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार भी बोफोर्स दलाली का सच सामने लाने में विफल रही. एक समय देश में बोफोर्स घोटाला सबसे ज्‍यादा चर्चा का विषय था. इसके चलते राजीव गांधी की सरकार को कई दिक्‍कतों का सामना करना पड़ा था. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में कई बार सुनवाई भी हो चुकी है. बोफोर्स डील मामले में घोटाले की बात सहित कई अन्य मामलों का अध्ययन कर रही संसदीय उप समिति ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा है कि इस मामले में सीबीआइ को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाना होगा.

बोफोर्स मामले से जुड़े सभी मामलों की जांच होनी चाहिए

उप समिति का कहना है कि बोफोर्स मामले से जुड़े सभी मामलों की तेजी से जांच होनी चाहिए. इस रिपोर्ट को पब्लिक अकाउंट कमिटि (पीएसी) की उप कमिटि अध्ययन कर रही है. इसके अध्यक्ष बीजेडी के सांसद भातृहारी मेहताब हैं. दिल्ली में एक बैठक के दौरान मेहताब ने बताया कि जांच एजेंसी को बिना किसी डर के और निष्पक्ष भाव से जांच करनी चाहिए. इस मीटिंग के दौरान एआईएडीएमके नेता पोन्नुसामी वेणुगोपाल और कांग्रेस के नेता मो अली खान भी शामिल हुए. उप समिति ने कहा, 'इस मामले जांच को लेकर सीबीआइ को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाना होगा. जिससे कि जांच एजेंसी पूरी तरह से निष्पक्ष काम कर सके.