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ममता को हाई कोर्ट की फटकार, कहा- दुर्गा पूजा और मुहर्रम के नाम पर सांप्रदायिक सौहार्द न ख़राब करें

बुधवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश पर संज्ञान लेते हुए पूछा कि क्या दुर्गा पूजा और मुहर्रम साथ-साथ नहीं मनाया जा सकता?

Updated on: 20 Sep 2017, 11:54 PM

नई दिल्ली:

ममता सरकार के आदेश दुर्गापूजा और मुहर्रम अलग अलग मनाए जाने के फरमान को कलकत्ता हाई कोर्ट से झटका लगा है। बुधवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश पर संज्ञान लेते हुए पूछा कि क्या दुर्गा पूजा और मुहर्रम साथ-साथ नहीं मनाया जा सकता?

इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि जब आप ख़ुद भी मान रही हैं कि राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बरकरार है तो फिर दोनो संप्रदाय के लोगों के बीच सांप्रदायिक भेद-भाव क्यों पैदा किया जा रही है।

कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा, 'दुर्गापूजा और मुहर्रम एक साथ क्यों नहीं मनाया जा सकता?'

कलकत्ता हाई कोर्ट ने आगे राज्य सरकार से कहा, 'जब आप कह रही है कि पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक सौहार्दता बनी हुई है तो फिर मुहर्रम का ज़ुलुस और दुर्गा पूजा मूर्ति विसर्जन के लिए अलग-अलग तारीख़ निर्धारित कर क्यों सांप्रदायिक भेद-भाव पैदा किया जा रहा है?'

कोर्ट ने कहा, 'दोनों समुदाय के लोगों को ख़ुद ही सामंजस्य बिठाने दीजिए। उन लोगों को बांटने की कोशिश न करें। उन्हें साथ रहने दिया जाए।'

इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आदेश जारी कर कहा था कि सभी दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन 30 सितंबर की शाम तक कर ली जाए। उन्होेंने कहा था कि दुर्गा पूजा के दौरान हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने साफ किया कि मुहर्रम के दौरान दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन नहीं होगा।

ममता बनर्जी ने कहा, 'दुर्गा पूजा के दौरान हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुहर्रम पर किसी भी मूर्ति का विसर्जन नहीं होगा। त्यौहार के नाम पर राजनीति नहीं की जानी चाहिये।'

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