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दलित सांसदों के दबाव में झुकी मोदी सरकार, SC/ST एक्ट पर इस मॉनसून सत्र में संशोधन बिल लाने का ऐलान

एससी/एसटी एक्ट पर बीजेपी और एनडीए के सहयोगी दलों के दलित सांसदों की बढ़ती नाराजगी और दबाव के बीच मोदी सरकार ने इस पर संसद में संशोधन बिल लाने का फैसला किया है

Updated on: 01 Aug 2018, 06:31 PM

नई दिल्ली:

एससी/एसटी एक्ट (SC/ST Act) पर बीजेपी और एनडीए के सहयोगी दलों के दलित सांसदों की बढ़ती नाराजगी और दबाव के बीच मोदी सरकार ने इस पर संसद में संशोधन बिल लाने का फैसला किया है। यह संशोधन बिल इसी मॉनसून सत्र में लाया जाएगा। बिल के लोकसभा और राज्सभा से पास होने के बाद एससी/एसटी एक्ट को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले वाली स्थिति में ही लागू किया जाएगा। केंद्र सरकार ने इस फैसले के बाद दलित संगठनों से 9 अगस्त से प्रस्तावित भारत बंद को रद्द करने का आग्रह किया है

गौरतलब है कि एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी सरकार पर एनडीए के सहयोगी दल लगातार इसे पहले वाली स्थिति में लागू करने की मांग कर रहे थे।

अविश्वास प्रस्ताव के दिन बिहार के बड़े दलित नेता और एनडीए में सहयोगी लोकजन शक्ति पार्टी के मुखिया रामविलास पासवान ने सदन को भरोसा दिलाया था कि SC/ST एक्ट पर जरूरत पड़ी तो सरकार इसके लिए अध्यादेश या संशोधन बिल ला सकती है।

गौरतलब है कि एलजेपी सहित, आरपीआई जैसी पार्टियों ने सरकार से इस पर रुख साफ करने की मांग की थी।

SC/ST एक्ट पर क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल में एससी/एसटी ऐक्ट के मामले में दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए इस एक्ट के तहत आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही एससी/एसटी एक्ट तहत दर्ज केसों में अग्रिम जमानत की भी मंजूरी दे दी थी।

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फैसले को लेकर कोर्ट ने कहा था कि इस कानून के तहत दर्ज मामलों में तुरंत गिरफ्तारी की जगह पुलिस को 7 दिन के भीतर जांच करनी चाहिए और फिर इस पर कोई कार्रवाई करनी चाहिए। इसके साथ ही अपने आदेश में कोर्ट ने यह भी कहा था कि किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी अपॉइंटिंग अथॉरिटी की बिना मंजूरी नहीं की जा सकती। गैर सरकारी कर्मी की गिरफ्तारी के लिए एसएसपी की मंजूरी की भी जरूरत होगी।

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SC/ST समुदाय और कई दलित संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दे दिया था और कहा था कि इससे उनके हित की रक्षा मुश्किल होगी।

गौरतलब है कि एससी-एसटी एक्ट में बदलाव को लेकर अलग-अलग दलित समुदायों ने 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया था। इस आंदोलन के दौरान हिंसा में 8 लोगों की मौत हो गई थी जबकि हिंसा प्रभावित कुछ जिलों में कर्फ्यू तक की नौबत आ गई थी।

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