बुराड़ी कांड: 11 शवों का होगा मनोवैज्ञानिक पोस्टमार्टम, जानें कैसे होगी प्रक्रिया
बुराड़ी में रहस्यमय तरीके से एक ही परिवार के 11 सदस्यों की मौत के मामले में पुलिस ने शवों का मनोवैज्ञानिक पोस्टमार्टम कराने का फैसला लिया है।
नई दिल्ली:
बुराड़ी में रहस्यमय तरीके से एक ही परिवार के 11 सदस्यों की मौत के मामले में पुलिस ने शवों का मनोवैज्ञानिक पोस्टमार्टम कराने का फैसला लिया है। परिवार की मानसिकता का पता लगाने के लिए ऐसा किया जाएगा। यह जानकारी सूत्रों से पता चली है।
जानकारी के मुताबिक, इस पोस्टमार्टम में परिवार के जीवित सदस्यों की मानसिकता और मृतक की दिमागी हालत की मैपिंग की जाती है। घटनास्थल से बरामद रजिस्टरों में 'बड़ तपस्या' की प्रैक्टिस करने की बात सामने आई है, जिसमें लोग बरगद का पेड़ और उसकी शाखाएं बनने की कोशिश करते हैं। ऐसे में विशेषज्ञ मृतकों की मानसिकता के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।
Delhi Crime Branch to conduct psychological autopsy of 11 members of a family who were found dead at a house in Burari: Sources
— ANI (@ANI) July 6, 2018
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क्यों कराया जाएगा साइको ऑटोप्सी?
मेडिकल साइंस में साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी यानी मनोवैज्ञानिक शव परीक्षण एक ऐसा तरीका है, जिसकी मदद से किसी मरने वाले के दिमाग को समझने की कोशिश की जाती है। इससे यह पता लगाया जाता है कि मरने से पहले मृतक के बर्ताव में किस तरह का बदलाव आया था। यह आत्महत्याओं की जांच करने का एक दूसरा तरीका है।
इसमें मृतक के परिजनों, दोस्तों, जानने वालों से बात कर मृतक की मानसिकता का विश्लेषण होता है। प्रक्रिया में मृतक से अंतिम समय बात करने वालों से उसकी स्थितियों के बारे में जानने की कोशिश की जाती है।
इस मामले में पुलिस को अंतिम पोस्टमार्टम और फॉरेंसिक रिपोर्ट मिलने का इंतजार है। इसके बाद शवों का बिसरा भी फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा।
भारत में पहले भी हो चुके हैं मनोवैज्ञानिक पोस्टमार्टम
दिल्ली पुलिस ने सुनंदा पुष्कर डेथ केस में पहली बार सुनंदा का मनोवैज्ञानिक पोस्टमार्टम करवाया था। साइको ऑटोप्सी में यह देखा जाता है कि खुदकुशी का कदम उठाने से पहले परिवार के सदस्यों की क्या स्थिति थी।
फॉरेंसिक मनोवैज्ञानिकों ने 2006 में हुए निठारी हत्याओं की जांच की थी। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के नोएडा के निठारी गांव में मोनिंदर सिंह पंधेर के घर से 19 शव बरामद किए थे।
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