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बुलंदशहर हिंसा : अखलाक मॉब लिंचिंग केस में जांच अधिकारी थे मृतक इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह

बुलंदशहर में सोमवार को गोकशी के शक पर मचे बवाल के बाद जिस पुलिस इंस्पेक्टर की मौत हुई, वह साल 2015 में दादरी में हुए अखलाक की मौत मामले में जांच अधिकारी रह चुका था.

Updated on: 04 Dec 2018, 02:21 PM

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में सोमवार को गोकशी के शक पर मचे बवाल के बाद जिस पुलिस इंस्पेक्टर की मौत हुई, वह साल 2015 में दादरी में हुए अखलाक की मौत मामले में जांच अधिकारी रह चुके थे. सोमवार को बुलंदशहर में गोकशी के शक में लोगों ने जमकर हंगामा किया था. भीड़ ने चिंगरावठी चौराहे पर हंगामा करते हुए पथराव शुरू कर दिया. भीड़ में मौजूद लोगों ने फायरिंग भी की, जिसमें कोतवाली प्रभारी (इंस्पेक्टर) सुबोध कुमार सिंह की गोली लगने से मौत हो गई. इस दौरान कई पुलिसकर्मी भी घायल हो गए हैं.

अपर पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) (एडीजी) आनंद कुमार ने बताया, 'बुलंदशहर हिंसा के दौरान मारे गए सुबोध कुमार सिंह दादरी में अखलाक लिंचिंग केस के जांच अधिकारी (28 सितंबर 2015 से 9 नवंबर 2015 तक) थे. इस मामले में दूसरे जांच अधिकारी ने मार्च 2016 में चार्जशीट दाखिल की थी.'

बता दें कि साल 2015 में उत्तर प्रदेश के दादरी में गोमांस खाने की अफवाह के चलते अखलाक नाम के बुजुर्ग युवक की भीड़ ने हत्या कर दी थी. 

इस मामले में दो रिपोर्ट आई थी, एक में गोमांस की पुष्टि हुई थी दूसरे में नहीं हुई थी. यूपी के पशु चिकित्सा विभाग की प्राथमिक रिपोर्ट में कहा गया था कि पिछले साल 28 सितंबर की रात दादरी में 52 वर्षीय मोहम्मद अखलाक को जिस मांस की वजह से भीड़ ने कथित तौर पर पीट पीट कर मार डाला था वह बकरे का मांस था.

वहीं मथुरा लैब की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के पशु चिकित्सा विभाग की प्राथमिक रिपोर्ट से उलट थी. यूपी पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बाद में अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बातचीत में पुष्टि की कि सैंपल के लिए भेजा गया मांस गोमांस ही था लेकिन यह सैंपल अख़लाक़ के घर के अंदर से नहीं, बल्कि पास के तिराहे से लिया गया था. उन्होंने कहा कि इससे यह साबित नहीं होता है कि अख़लाक़ ने मांस खाया था या घर में रखा था.

सोमवार को हुई हिंसा के लिए विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन कर दिया गया है. एडीजी (मेरठ जोन) एसआईटी की अगुवाई करेंगे. 48 घंटे में गोपनीय इंक्वायरी की रिपोर्ट भी मिल जाएगी.

आनंद कुमार ने कहा, 'इस मामले में किसी को छोड़ा नहीं जाएगा. जो भी मामले दर्ज होंगे, सबकी जांच एसआईटी करेगी. हमारे सीओए चौकी इंचार्ज, सबइंस्पेक्टर घायल हैं, जिनका उपचार चल रहा है.'

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उन्होंने बताया कि इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की मौत पत्थर लगने से हुई. इंस्पेक्टर पर गांववालों ने फायरिंग भी की थी. हालात अब नियंत्रण में है. उन्होंने बताया कि करीब 400 लोगों की भीड़ थी, जो आसपास के गांवों से आए थे. उन लोगों ने करीब 15 वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया.

पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) ने बताया कि पुलिस की तरफ से हवाई फायरिंग हुई. ग्रामीणों की तरफ से भी जमकर फायरिंग की गई. इंस्पेक्टर को सिर में किसी 'ब्लंट ऑब्जेक्ट' से चोट लगी. इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाने की कोशिश पुलिसकर्मियों ने की, लेकिन उन्हें ले जाने नहीं दिया गया. इसके बाद किसी तरह उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां अधिक रक्त स्राव की वजह से उनकी मौत हो गई.

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डॉक्टरों का प्रथम दृष्टया कहना है कि किसी ब्लंट ऑब्जेक्ट से चोट लगने और अधिक रक्त बहने की वजह से मौत हुई है. फिलहाल मौत के बाद पोस्टमार्टम में वजह का खुलासा होगा. इस हिंसा में एक युवक सुमित की भी मौत हो गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा होगा कि इंस्पेक्टर और सुमित की मौत कैसे हुई.