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बजट 2017: कैसा होगा रक्षा बजट? 10% आवंटन की आस में रक्षा क्षेत्र

लगातार तीन साल से जारी रक्षा बजट में बढ़त क्या इस बार भी रहेगी जारी? रक्षा क्षेत्र को न्यूनतम 10% आवंटन की उम्मीद।

Updated on: 30 Jan 2017, 08:04 PM

नई दिल्ली:

एनडीए सरकार के नेतृत्व में पिछले तीन साल से रक्षा क्षेत्र को 10% बजट हिस्सेदारी क्या इस बार भी जारी रहेगी? 2014-15 में एनडीए सरकार के पहले बजट में रक्षा विभाग का बजट 10% बढ़ाकर  2.29  लाख करोड़ किया गया था। इससे पहले 2013-14 में यह 2 लाख करोड़ रुपये था। इसके बाद 2015-16 में भी 10% की बढ़त के साथ रक्षा बजट 2.46 लाख करोड़ रुपये था। 

हालांकि 2016-17 में इसमें कुल 9.3% का इज़ाफा किया गया था और यह बढ़कर 2.56 लाख करोड़ रुपये हो गया। रक्षा क्षेत्र पर नज़र रखने वाले विशेषज्ञों की मानें तो इस बार भी बजट में सरकार 10% की बढ़त कर सकती है। 

और पढ़ें- रिलायंस डिफेंस ने जीता रक्षा मंत्रालय का 916 करोड़ रुपयों का ठेका, शेयर 8 फीसदी चढ़ा

रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियरिंग को रक्षा मंत्रालय से 916 करोड़ रुपये का कांट्रेक्ट
रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियरिंग को रक्षा मंत्रालय से 916 करोड़ रुपये का कांट्रेक्ट

इस बीच बजट 2017 से ठीक दो दिन पहले सोमवार को रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियरिंग ने रक्षा मंत्रालय से 916 करोड़ रुपये का डिफेंस कांट्रेक्ट हासिल कर लिया। इस सौदे के तह्त रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियरिंग कंपनी भारतीय कोस्ट गार्ड के निर्माण और आधुनिकिकरण के लिए 14 फास्ट पेट्रोल वेसल्स मुहैया कराएगी। इस सौदे की ख़बरों के बाद कंपनी के शेयर में करीब 8 प्रतिशत तक उछल गया था।

रक्षा बजट में कम से कम 10 प्रतिशत आवंटन की उम्मीद
रक्षा बजट में कम से कम 10 प्रतिशत आवंटन की उम्मीद

इसके अलावा कई ब्रोकरेज फर्म्स जिनकी निगाह रक्षा क्षेत्र के बजट आवंटन पर हैं बजट में कम से कम 10 प्रतिशत आवंटन की उम्मीद लगाए बैठी हैं।

रक्षा क्षेत्र में आधुनिकिकरण, नई तकनीकों और बेहतर मशीनों की दरकार
रक्षा क्षेत्र में आधुनिकिकरण, नई तकनीकों और बेहतर मशीनों की दरकार

रक्षा बजट में अगर 10 प्रतिशत आवंटन मिलता है तो रक्षा क्षेत्र में आधुनिकिकरण, नई तकनीकों और मशीनों की मांग में बढ़त होने की संभावना के चलते बीईएमएल और बीईएल जैसी कंपनियों के शेयर में मुनाफे की संभावनाएं बनेंगी।

दबावों के दौर से जूझ रहा है डिफेंस सेक्टर
दबावों के दौर से जूझ रहा है डिफेंस सेक्टर

पिछले कुछ समय से कई घटनाओं के चलते डिफेंस सेक्टर दबाव में रहा है। मेक इन इंडिया के तह्त सरकार लोकल मैन्युफैक्चरिंग और आधुनिकिकरण को बढ़ावा देने की भी कोशिश कर रही है लेकिन इससे रक्षा विभाग की ज़रुरतें कई ज़्यादा है। अच्छा बजट आवंटन ही काफी नहीं है बल्कि इसे कैसे इस्तेमाल किया जाता है और किस प्रकार इसकी आपूर्ति की जाती है यह ज़्यादा अहम है।

भारत दुनिया का चौथा सबसे ज़्यादा रक्षा बजट आवंटन करने वाला देश
भारत दुनिया का चौथा सबसे ज़्यादा रक्षा बजट आवंटन करने वाला देश

एक डिफेंस बजट रिपोर्ट की मानें तो भारत दुनिया के सर्वश्रेष्ठ रक्षा बजट आवंटन वाले 10 देशों की सूची में चौथे स्थान पर आता है। बावजूद इसके अभी तक रक्षा क्षेत्र को और इससे जुड़े लोगों को कई चुनौतियों से गुज़रना पड़ता है।

वित्त वर्ष 2016-17 रक्षा खर्च जीडीपी का मात्र 1.72% था
वित्त वर्ष 2016-17 रक्षा खर्च जीडीपी का मात्र 1.72% था

दुनिया भर में किसी भी देश की व्य्य क्षमता उसकी जीडीपी दर के अनुपात में आंकी जाती है। ऐसे में भारत का रक्षा व्यय उत्साहजनक नहीं है। 2016-17 में अगर पेंशन व्यय को निकाल कर आंकलन करें तो यह रक्षा खर्च जीडीपी का मात्र 1.72% था जोकि 1962 में हुए चीन युद्ध के बाद का सबसे न्यूनतम है।

सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के लिए रक्षा बजट में और बढ़त की आस
सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के लिए रक्षा बजट में और बढ़त की आस

ऐसे में रक्षा बजट में बहुत ही ज़्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है। अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए देश का रक्षा बजट जीडीपी का करीब 3 प्रतिशत होने की आवश्यकता है।