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पेश होगा आम बजट, बजट बैग के साथ जेटली राष्ट्रपति भवन के लिए रवाना

नोटबंदी के बाद सुस्त पड़ी आर्थिक रफ्तार और पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली मोदी सरकार का चौथा बजट पेश करेंगे।

Updated on: 01 Feb 2017, 09:35 AM

highlights

  • आज ही बजट पेश करेंगे वित्त मंत्री अरुण जेटली
  • सांसद ई अहमद के निधन के बाद था सस्पेंस
  • स्पीकर लेंगी अंतिम फैसला, केंद्रीय मंत्री ने कहा टल सकता है आम बजट

नई दिल्ली:

सूत्रों के हवाले से खबर है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली बुधवार को ही बजट पेश करेंगे। इससे पहले खबर थी की इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा सांसद ई अहमद के निधन के बाद बजट टाला जा सकता है। हालांकि अंतिम फैसला लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन लेंगी।

वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने कहा, 'आमतौर पर मौजूदा सांसद के निधन के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी जाती है। ऐसे में उम्मीद है कि बजट टाला जाएगा, लेकिन अंतिम फैसला स्पीकर लेंगी।'

पूर्व केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री का मंगलवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान दिल का दौरा पड़ा था। जिसके बाद उन्हें राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। देर रात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने अस्पताल का दौरा किया था।

अपडेट्स:-

बजट की कॉपी संसद भवन पहुंचा

अरुण जेटली वित्त मंत्रालय पहुंचे

मंगलवार को आर्थिक समीक्षा में 2017-18 के लिए 6.75-7.5 फीसदी ग्रोथ रेट का अनुमान जताया गया। मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी के 6.5 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया गया है जो नोटबंदी से हुए नुकसान की पुष्टि करती है। पिछले वित्त वर्ष में जीडीपी 7.6 फीसदी रही थी।

ग्रोथ रेट में कटौती किए जाने का असर तत्काल बाजार पर दिखा। बजट से पहले की अनिश्चितताओं के बीच सेंसेक्स 194 अंक लुढककर 27656 और निफ्टी 71 अंक गिर कर 8600 के स्तर से नीचे बंद हुआ।

ऐसे में वित्त मंत्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती मार्केट सेंटीमेंट को सकारात्मक बनाए रखने की होगी। इस लिहाज से नोटबंदी के असर को कम करने के लिए जेटली 2017-18 के बजट में कुछ कर राहत तथा अन्य प्रोत्साहन की घोषणा होगी तो वहीं विधानसभा चुनावों से पहले मतदाताओं को खुश करने के लिए कुछ वैसे उपायों की घोषणा की जा सकती है जिससे लोगों को सीधे फायदा हो।

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बजट से एक दिन पहले पेश किए आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने इसकी झलक भी दे दी है। कर छूट के अलावा बजट में यूनिवर्सल बेसिक इनकम की घोषणा की जा सकती है।

साफ और सरल शब्दों में समझा जाए तो सरकार की योजना देश की बड़ी आबादी को एक न्यूनतम वेतन मुहैया कराने की होगी। बजट में ग्रामीण भारत के अलावा मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की चुनौती होगी।

आर्थिक सर्वेक्षण में ग्रोथ रेट के लिए दो बड़ी चुनौतियों का जिक्र किया गया है। नोटबंदी से कृषि में नकदी की समस्या आएगी वहीं कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से जीडीपी रेट को झटका लगेगा।

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इससे बचने के लिए सर्वे में कॉरपोरेट टैक्स को तेजी से कम किए जाने की सिफारिश की गई है वहीं आम लोगों को राहत देने के लिए आयकर की दरों, जमीन जायदाद पर स्टाम्प शुल्क में कटौती की सिफारिश की गई है। बजट में इन सिफारिशों पर मुहर लगाई जा सकती है।

बाजार को मिलेगी राहत?

नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर लगने वाले टैक्स को बढ़ाए जाने का संकेत दे चुके हैं। ऐसे में शेयर बाजार की नजर बजट में निवेश पर लगने वाले टैक्स की घोषणा पर होगी।

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फिलहाल 12 महीने से कम समय के लिए रखे जाने वाले शेयरों पर लाभ को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाता है, जिस पर 15 फीसदी का कर देना होता है। वहीं 12 महीने से अधिक समय वाले शेयरों पर मिले लाभ को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाता है और इस पर निवेशकों को कोई कर नहीं देना होता है।

सरकार की तरफ से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स लगाने की संभावना कम है लेकिन होल्डिंग की अवधि को एक साल से बढ़ाकर दो साल किया जा सकता है।