SC/ST एक्ट पर मायावती ने कहा, अपनी कमी छिपाने के लिए BJP कर रही BSP के खिलाफ दुष्प्रचार
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि बीजेपी दलित हिंसा पर बीएसपी को बदनाम कर रही है।
नई दिल्ली:
बीएसपी (बहुजन समाजवादी पार्टी) सुप्रीमो मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) पर जमकर हमला बोला है।
उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार एससी-एसटी एक्ट मामले में अपनी कमियों को छिपाने के लिए बीएसपी के खिलाफ दुष्प्रचार कर रही है। जबकि सच यह है कि बीएसपी ने कभी भी गैर दलितों का उत्पीड़न नहीं किया।
मायावती ने कहा कि मीडिया के कुछ लोग सच को छुपाकर, बीएसपी की गलत छवि पेश कर रहें हैं।
उन्होंने कहा कि बीजेपी अपनी कमियों को छिपाने की कोशिश कर बीएसपी के खिलाफ भ्रामक प्रचार करवा रही है।
बीएसपी शासन काल में एससी/एसटी एक्ट को कमजोर करने के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए मायावती ने कहा कि बीजेपी जिन शासनादेशों का हवाला देकर बीएसपी को बदनाम करने की कोशिश कर रही है, उनकी तुलना सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से करना गलत है।
Some sections of media are distorting the truth & presenting it before the people to show BSP in a bad light. BJP hasn't been able to come to terms with its loss in Uttar Pradesh by-elections. An anti-BJP environment is slowly building up in the nation: Mayawati, BSP Chief pic.twitter.com/3S8dH9s43u
— ANI UP (@ANINewsUP) April 5, 2018
उन्होंने अपने शासनकाल में जारी शासनादेश पर सफाई देते हुए कहा कि आदेश में झूठे मामलों से बचने के लिए अविलंब जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। लेकिन जिसे बाद में वापस लेकर एससी/एसटी एक्ट को उसकी मूल भावना के अनुरूप लागू करने का आदेश भी जारी किया गया था।
एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलित समुदाय के भारत बंद के दौरान हुई हिंसा के लिए मायावती ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत बंद के दौरान सिर्फ बीजेपी शासित राज्यों में हिंसा हुई। जबकि पूरे देश में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया गया।
बता दे कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए एससी/एसटी ऐक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था। इसके अलावा एससी/एसटी ऐक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दी थी।
शीर्ष अदालत ने इस मामले में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए जांच के बाद ही गिरफ्तारी का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि मामले की जांच डीएसपी रैंक के बराबर या उससे ऊपर के अधिकारी को ही करनी होगी।
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