भारतीय कलाकारों का दावा, पहले विश्वयुद्ध में ब्रिटिश सेना ने भारतीय सैनिकों के साथ किया भेदभाव
उन्होंने कहा, 'इसके बजाय उन्होंने एक अधिक अस्पष्ट स्थिति एनवाईडी या नॉट येट डायग्नास्ड...नर्वस सुझाया जिसे समझने में सामान्य सैनिकों को मुश्किल हो।'
नई दिल्ली:
प्रथम विश्वयुद्ध के सौ वर्ष मनाने के लिए ब्रिटेन पहुंचे भारतीय कलाकारों के एक समूह ने दावा किया है कि उन्हें ऐसे दस्तावेज मिले हैं जिससे खुलासा होता है कि 20वीं शताब्दी के इस युद्ध में ब्रिटेन की सेना के साथ लड़ने वाले भारतीय उपमहाद्वीप के सैनिकों के साथ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया गया. दिल्ली स्थित 'रक्स मीडिया कलेक्टिव' के कलाकारों ने 'आब्जर्वर' को बताया कि ब्रिटिश पुस्तकालय से प्राप्त दस्तावेजों से खुलासा होता है कि ब्रिटिश सशस्त्र बलों ने भारतीय सैनिकों के बीच मनोवैज्ञानिक समस्याओं के इलाज की उपेक्षा की. ब्रिटिश सशस्त्र बलों ने युद्धक्षेत्र में अनुभवों से सदमे में आये सैनिकों के इलाज में असामान व्यवहार अपनाया.
रक्स के एस सेनगुप्ता ने कहा, 'बम गिरने से मानसिक आघात की स्थिति का सबसे पहले पता 1915 में अंग्रेज चिकित्सक चार्ल्स मेयर्स ने लगाया था. यद्यपि हमें ब्रिटिश पुस्तकालय से जो दस्तावेज मिले हैं उससे हमें पता चला कि मेयर्स ने यह शब्दावली तुरंत ही छोड़ दी क्योंकि उन्हें भय था कि सामान्य सैनिकों को यह समझने में आसान होगा और वे चिकित्सक से दिखाने के लिए कहेंगे.'
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उन्होंने कहा, 'इसके बजाय उन्होंने एक अधिक अस्पष्ट स्थिति एनवाईडी या नॉट येट डायग्नास्ड...नर्वस सुझाया जिसे समझने में सामान्य सैनिकों को मुश्किल हो.'
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