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68वां गणतंत्र दिवस: वीरता पुरस्कार जीतने वाले सोनू ने बचाई थी काले कोबरे से दोस्त की जान, सुमित ने लड़ी तेंदुए से लड़ाई

इसा साल चार बच्चों को मरणोपरांत पुरस्कार दिया गया। इसमें अरुणाचल प्रदेश की चार साल की तारह पेजु भी है, जो अपने दो दोस्तों को डूबने से बचाने की कोशिश के दौरान अपनी जान से हाथ धो बैठीं।

Updated on: 26 Jan 2017, 03:38 PM

नई दिल्ली:

गणतंत्र दिवस के मौके पर आयोजित परेड में गुरुवार को इस साल राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार जीतने वाले बच्चों ने हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के विभिन्न हिस्सों से 25 बच्चों को सोमवार को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्रदान किए थे। इनमें से चार बच्चों को मरणोपरांत ये पुरस्कार दिए गए थे।

उत्तराखंड के सुमित ने तेंदुए से बचाई रिश्तेदार की जान

वीरता पुरस्कार जीतने वाले बच्चों में उत्तराखंड से 15 साल का सुमित ममगेन शामिल हैं। सुमित ने अपने रिश्तेदार को बचाने के लिए तेंदुए से लड़ाई लड़ी। ऐसे ही राजस्थान से नौ साल के सोनू माली ने अपनी कक्षा के एक साथी को चार फुट लंबे काले कोबरा से बचाया था।

दार्जिलिंग से तेजस्वीता प्रधान और शिवानी गोंड ने अंतर्राष्ट्रीय सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ करने में पुलिस और एक एनजीओ को मदद दी। उनकी साहस की बदौलत ही इस सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ हो सका और इसके मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी दिल्ली में हुई।

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इन बच्चों ने मरणोपरंता जीता पुरस्कार

इसा साल चार बच्चों को मरणोपरांत पुरस्कार दिया गया। इसमें अरुणाचल प्रदेश की चार साल की तारह पेजु भी है, जो अपने दो दोस्तों को डूबने से बचाने की कोशिश के दौरान अपनी जान से हाथ धो बैठीं। मिजोरम की लालहरीयतपुई ने अपने रिश्तेदार को कार दुर्घटना से बचाने के लिए अपनी जान दे दी।

इन्हीं बहादुर बच्चों में छत्तीसगढ़ के तुषार वर्मा का भी नाम दर्ज है जो पड़ोसी के घर में लगी आग बुझाने में मदद करते हुए जान से हाथ धो बैठे। मिजोरम की रोलुआपुई भी दो बच्चों को डूबने से बचाने की जद्दोजहद में जिंदगी की जंग हार गई।

भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू) ने 1957 में राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार योजना शुरू की थी, जिसका उद्देश्य अदम्य साहस का परिचय देने वाले बच्चों को पुरस्कृत करना है।

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